Episode – 2
शीतल : (सोचते सोचते) भूत तो नही पर हां उस रोहन पब्लिक स्कूल की चुड़ैल प्रिंसिपल ने मुझे सिर्फ इसलिए select नही kiya
था ye Kah ke Ki मेरी Spoken English में grammatical mistakes होते है ,
कोई उससे अंग्रेजी मे बात करे तो चुड़ैल के मुंह पे दही जम जाता है.
5000 rs. देने की औकात नहीं थी सच तो ये था इससे अच्छा तो ये बुद्धा है कम से कम साफ साफ बोल तो रहा है.
रोली: (हंसते हुये) हां!
सच तो ये है सब जगह फ्रेशर होने का पूरा फायदा उठाया जाता है. वैसे जब experience holder होने के लिये भूतिया बढ्ढे का स्कूल बुरा नही है.
शीतल: (सदमे लगा हुआ चेहरे के साथ) पर 1500 सौ रुपये सैलरी!
दोनो घर चले जाते है रात के खाने मे पूरे परिवार (पापा मम्मी शीतल रोली) मे वार्तालाप होरही है.
मम्मी: कोई जरूरत नही 1500 रुपये के लिये कही मरने की.
पापा: नही! मुझे लगता है शीतल को वहां पढ़ाने जरुर जाना चाहिये.
शीतल: (हीनभावना युक्त मुखमु्द्रा ) पर 1500 रुपये सैलरी
पापा: बेटा! ज्ञान वो धन है जो जितना बांटोगे उतना बढ़ेगा,
पढ़ाने से नॉलेज मिलेगा और completion exams qualify करने मे आसानी रहेगी साथ ही एक टीचिंग एक्सपीरियंस भी मिल जायेगा.
शीतल: अाप बिल्कुल सही कह रहे है पर 1500 रुपये सैलरी…
पापा: बेटा! शिक्षा को हमेशा पैसे से नही तोलना नही चाहिये, पैसे के अभाव मे जाने कितने छात्रो को अच्छी शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है. इसलिये कम सैलरी मे भी बच्चो को अच्छी शिक्षा देकर समाज के लिये मिसाल बनो.
पापा शीतल की पीठ थप थपा कर चले जाते है
शीतल: (अपनी ही सोच मे डूबी है) हां! उस स्कूल मे पढ़ाने से कम से कम एक्सपीरियंस तो मिलेगा तो मै उस स्कूल मे पढ़ाने जरुर जाउंगी
पर (अचानक रोनी सूरत बना कर) 1500 सैलरी…..
मम्मी: (पापा की बाते ध्यान से सुनने के बाद)
हां सही है अनुभव के लिये ये स्कूल सही है चूंकि प्रंसिपल बुजुर्ग है तो किसी बात डर नही है हमको.
शीतल: (मम्मी की तरफ मुंह बना कर देखती है) और जवान होता तो क्या डर होता?
रोली: जवान होता तो (मुख से फिल्मो की पॉपुलर रोमांटिक धुन निकालती हुई) ललला लल्ला ला ला ला ला…… … होने का डर
मम्मी: (छोटी सी कोल्ड्रिंक की बोतल हाथ मे लेकर) यही बोतल फैक के मारेंगे तो खोपड़ी फूट जायेगी तुम्हारी.
रोली: (हल्की स्माइल देते हुये) मम्मी! मेरा सिर तो नही फूटेगा पर हां ये प्लास्टिक बोतल पिचक जरुर जायेगी.
(मम्मी खीज कर चली जाती है)
रोती हुई शीतल अचानक हंसने लगती है उसे देख रोली भी हंसने लगती है.
अगली सुबह शीतल स्कूल पहुचती है,
बच्चों को पढ़ाते समय वह बोर्ड पर कुछ मैथ के सवाल सॉल्व करती है और समझाने के लिए स्टूडेंट की तरफ मुंह करती है तो देखती है कि सभी स्टुडेंट्स अचानक गायब हो जाते है वह चौक जाती है फिर उसकी वह बोर्ड की तरफ वापस देखती है कि उसने जो सवाल लगाये है वह भी स्वत: मिट गये है वह क्लास से बाहर की ओर भागती है तो बाहर के दरवाजे पर बद्रीनाथ को खड़ा पाती है,
शीतल: सर! वो अन्दर….
बद्रीनाथ उसकी बात का कोई जवाब नही देते और जोर से हंसकर शीतल का हाथ कस के पकड़ लेते है
शीतल अपना हाथ नही छुड़ा पारही है और वह चिल्लाने के लिये मुंह तो खोल रही है पर मुंह से अावाज नही निकल रही है, अचानक वह अपने दूसरे हाथ की पांचो अंगुलियो का मुक्का बना कर बद्रीनाथ के मुंह पर प्रहार करती है.
बद्रीनाथ : अाह! (चिल्लाता है)
पर ये क्या? बद्रीनाथ की आवाज लड़कियो जैसी निकल रही है, फिर शीतल सोचती है
है कि बद्रीनाथ के मुख से निकलने वाली आवाज रोली जैसी क्यो है? अचानक उसकी आंखे खुलती है तो वह देखती है कि वह बगल मे सोरही रोली को बिस्तर पे लेटे लेटे मार रही है,
रोली: आह! क्या सपना देख रही थी?
शीतल: थैंक गॉड! मैने सपना देखा कि बद्रीनाथ शैतान बन गया है. गलती तुम्हारी है, क्यो कहा था? स्कूली खहन्डर भूतिया बुढ्ढा.
रोली: अरे पागल! ये भूत, पिशाच और शैतान
कुछ नही होता …. ओम नम: शिवाय -2
Ram Ram Ram. . . .
शीतल:
(सोचते हुये)
असली शैतान तो इंसान का खाली दिमाग होता है जो सबसे ज्यादा बेरोजगार लोगो पर हावी होता है, जरा सोचो! अगर देश के हर व्यक्ति को उसके हुनर और रुचि के मुताबिक ईमानदारी और सुकून भरा रोजगार मिल जाये तो देश मे बढ़ रहे जुर्म जैसे चोरी, रेप, मर्डर यहां तक कि अातंकवाद की समस्या काफी हद तक कंट्रोल होजाये.
और बल्कि….
रोली : खर्र…. खर्र ….(खर्राटे भरती है क्योकि वह सो चुकी है)
सुबह रोली शीतल को स्कूटी से स्कूल छोड़ने जाती है
रोली: जाओ! स्कूल मे पढ़ाओ जाके, मुझे कॉलेज के लिये लेट होरहा है. वह चली जाती है.
शीतल महसूस कर रही है कि बद्रीनाथ शायद उसकी ही राह निहार रहे है क्योकि शीतल को देखते ही उनके चेहरे पर स्माइल अागई है.
शीतल: Good Morning Sir!
बद्रीनाथ: Good Morning ! आइये !
बद्रीनाथ उसे एक क्लास मे लेजाते है जहां
9th – 10th के स्टुडेंट्स (सारे लड़के है) एक साथ बैठे है जोकि एक दूसरे को हंसी मजाक मे ही एक दूसरे को पीट रहे है.
बद्रीनाथ: छात्रो!
बद्रीनाथ को देखते ही सभी सावधान होकर खड़े होजाते है.
बद्रीनाथ: बैठ जाइये ! मैडम अापको मैथ पढ़ायेंगी.
(छात्रो को आंख दिखाते हुये बद्रीनाथ कमरे से निकल जाते है, बद्रीनाथ के जाते ही शीतल के सामने ही एक छात्र दूसरे छात्र को मुक्का जड़ देता है पर शीतल कुछ नही कहती)
शीतल: Good Morning students, myself Sheetal Tiwari your math teacher
So open your book
सारे छात्र: हां~~~~~~य
शीतल: बच्चो! अपनी किताब निकालिये! मै कोई भी टॉपिक पढ़ाऊ उसमे जो भी स्टेप न समझ आये तो पूछने मे बिल्कुल भी हेसिटेट होने की जरुरत नही है.
शीतल बोर्ड पर (9th – 10th दोनो से सम्बंधित) सवाल समझाती है आगे बैठे दो लड़को को छोड़ कर सभी समझने की एक्टिंग कर रहे है
एक छात्र (ज्ञान गुप्ता ,class- 9th) : (कॉपी मे लव लेटर लिख रहा है) मैडम तीसरी लाइन नही समझ मे आई, दोबारा समझा दीजिये!
शीतल समझा देती है.
दूसरा छात्र (नाम- दिवाकर शर्मा class- 9th)
(कॉपी मे शीतल की तस्वीर बना रहा है)
मैम, हमे दूसरा स्टेप एक बार फिर से बता दीजिये!
तीसरा छात्र (स्वयं – क्लास 10th , नाम स्वयं है पर ये कोई भी काम स्वयं नही करते उसके शरीर मे तो पतला दुबला है पर चेहरे मे मूछे काफी मोटी उगी, इनसे छात्र कम पंगा लेते है)
मुस्कुराते हुये बोर्ड और शीतल की तरफ देख रहा है)
शीतल को यह देख कर लग रहा है कि बच्चे वाकई बहुत समझने वाले है फिर भी उसे छात्रो इतना ज्यादा समझना अजीब लग रहा है.
शीतल: तुम लोग वाकई समझ रहे हो? कही ऐसा तो नही कि मै ही समझा रही हूं और मै ही समझ रही हू.
दिवाकर: नो मैम! आप बहुत अच्छा समझा रही है
(शीतल को देख कर उसकी तस्वीर कम्पलीट करता है)
आगे के जिन सीरियस लड़को (कमल और पूरब)
को नही समझ आया है वह उन्हे उनके समीप जाकर उनकी कॉपी मे समझा रही है.
तभी एक लड़का रुम मे घुस अाता है, और फिर वह शीतल को देखता है तो फिर पीछे चला जाता है.
लड़का : मै अाई कमीन! मइडम !
शीतल अचानक उस लड़के की तरफ देखती है और उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती है वह भी अचानक शीतल का चेहरा देखता है तो उसका मुंह khula rah जाता है,
शीतल को याद अाता कि ये वही लड़का है जो कल के दिन उसे और रोली को देख कर’ बन जा तू मेरी रानी’ गाना गा रहा था.
to be continued