
41 वर्षीय वरदा की मौत की खबर सुनकर लोग एक बार फिर से उसके बारे मे तरह तरह की बाते करने लगे,
‘हाय! अभी तो बेचारी की शादी हुई थी.’
कुछ पुराने ख्यालो वाली आंटी
पीछे गॉसिप करते हुये अपना दुख जता रही थी अचानक उनकी तेज आवाज
कानो मे पड़ गई,
‘हाय! मरना था तो 2 साल पहले ही मर जाती कम से कम मां बाप का शादी का खर्च तो बच जाता ‘.
खैर वरदा की अर्थी उठा कर घर के सभी पुरुष उसका अंतिम संस्कार करने चले गये. तभी खबर मिली कि अंतिम संस्कार
करते वक्त ही वरदा की छोटी बहन किरन के पति सुनील ने वरदा के पति भुवन को
एक थप्पड़ और दो तीन घूसे जड़ दिये.
जलती हुई चिता के दरम्यान ही वहां अचानक अफरा तफरी मच गई, भुवन तो परिवार मे सबका पसंदीदा सदस्य था
लेकिन सुनील ने ऐसा क्यो किया? यह सवाल सभी एक दूसरे से पूछ रहे थे.
अभी हाल ही मे जब किरन की शादी होरही थी तो वरदा के मिजाज देख कर तो ऐसा लग रहा था की वह अपनी छोटी बहन की शादी से खुश नही है शायद वरदा की जान उसके मन मे उत्पन्न ईर्ष्या ने ले ली.
शादी से पहले
वरदा के घर मे माता पिता के अलावा उसके तीन छोटे भाई और एक छोटी बहन किरन थी.
किरन खूबसूरत, लम्बी और गोरी थी वही वही वरदा कम हाईट की और साधारण सी दिखती थी.
कोई भी छोटा या बड़ा फंक्शन हो ढीला ढाला सा सलवार सूट पहनी हुई वरदा अपनी जिम्मेदारियां निभाती नजर आती थी और सभी मेहमानो को खुश रखती थी, चुंकि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद वरदा ने अपना रुख घर सम्भालने की तरफ ही कर लिया और किरन भी उसका साथ देने लगी थी क्योकि उनके माता पिता नही चाहते थे कि वह दोनो घर से बाहर निकल कर उनकी तरह जॉब करे.
खैर, वरदा की शादी के लिये लड़के देखने का कार्य बहुत पहले ही शुरु चुका था पर कही बात नही बन थी और ऐसी कोई जल्दी भी नही थी लेकिन ज्यो ज्यो वक्त बीतने लगा त्यो लोग वरदा
के बारे मे लोग बाते करने लगे तो चिन्ताये और बढ़ गई,
वरदा को जब लड़के वाले देखने आते थे तो किरन कभी सामने नही आती थी क्योकि एक बार वरदा को देखने आये परिवार ने किरन को पसन्द कर लिया था. लड़के वालो द्वारा वरदा पे कोई न कोई कमी निकाल कर उसे रिजेक्ट कर दिया जाता था हालांकि अब शादी के लिये वह पूजापाठ करती थी, व्रत रहती थी.
तरह तरह के लोग मिलते टोटके,मंत्र बताते तो माता पिता वरदा से करवाते भले ही वरदा का मन न हो.
फिर भी कही बात नही बनी वक्त बीतता गया अब वरदा से उम्र 10-12 साल छोटी लड़कियो की भी शादी होचुकी थी, शादी समारोह मे जाना अब वरदा को नही भाता था क्योकि समाज
वरदा के माता पिता से ज्यादा परवाह दिखा रहा था साथ ही कुछ जरुरत से ज्यादा बुध्दिमान लोग उसकी बढ़ती उम्र गिन रहे थे.
आखिरकार किस उम्र मे शादी करनी चाहिये? कब बच्चे होने चाहिये? कितने बच्चे होने चाहिये? ये सब तो समाज ही तय करता है, आखिरकार हम सबको अपने दिल की आवाज से ज्यादा समाज की आवाज सुनाई पड़ती है.
वरदा की चिन्ता
का विषय सिर्फ इस समाज की नजर थी जो उस पर गड़ी हुई थी फिर भी उसने मुस्कुराना बन्द नही किया था,
हालांकि कुछ लोगो ने एक नेक सलाह दी कि वरदा को इस तरह घर मे नही बैठना चाहिये उसे अपने करियर पर ध्यान देना चाहिये, आत्मनिर्भर बनना चाहिये ताकि उसका मन लगे, खुद से संतुष्ट और खुश हो पर ये बात वरदा के पिता और भाईयो को ये बात मंजूर नही थी उनका लक्ष्य सिर्फ एक अच्छे लड़के से शादी करवाना था शादी के अलावा वरदा को अन्य खुशियां कैसे दी जासकती है? ये बात उनके दिमाग मे आती ही नही थी और फिर वैसे भी घर की बेटी घर की दहलीज लांग कर कमाने जाये और कुछ ऊंच नीच होजाये तो ये समाज क्या कहेगा?
ऐसी सोच उन्हे वरदा को दु:खी कर देती थी पर वह कुछ नही कह पाती थी.
और अब वह घर मे कैद सी होगई थी.
इधर किरन की मुलाकात अचानक उसके स्कूल के दोस्त सुनील से हुई वह अब अच्छी जॉब करता था पर घर की जिम्मेदारियो मे बंधे सुनील ने अब तक शादी नही की थी, सुनील मन ही मन किरन को पसन्द करने लगा था और एक दिन उसने किरन से अपने मन बात कही की तो घर मे सब राजी होगये पर सब वरदा से उम्मीद करने लगे कि
वरदा खुद से पहले किरन की शादी के लिये खुद को मानसिक रुप से तैयार करे पर वरदा की चुप्पी से किरन समझ गई कि वरदा को अच्छा नही लगेगा क्योकि वरदा ने चुप्पी इसलिये नही साधी थी कि उसे किरन की शादी से इनकार था बल्कि
उसे इस समाज की और टेढ़ी होती नजर से डर लग रहा था.
अन्तत: किरन ने सुनील से थोड़ा वक्त मांगा तो सुनील तैयार होगया.
खैर एक दिन अचानक
वरदा की शादी का कार्ड देख कर मन को बड़ी खुशी मिली सभी शादी मे गये तो
सबकी निगाहे वरदा के दूल्हे पर थी जोकि काफी उम्रदराज था और दिखने पर भी अच्छा नही था
पीछे से कोई बोल रहा था,
‘अब 38 साल की उम्र मे और क्या मिलेगा?’
खैर, वरदा विदा होकर ससुराल चली गई.
जब साल भर बाद सब किरन की शादी मे सब फिर से इकठ्ठा हुये तो खुशियो के माहोल मे
वरदा तबियत खराब होने की बात कह कर एक कोने मे बैठी रहती थी वह मेहमानो से मुस्कुराकर मिलने मे कोई रुचि नही लेती थी, ये देख कर अजीब
लगरहा था कि अब तो शादी होगई है अब क्या बात होगई ?
वरदा का पति भी बराबर
घर के सभी सदस्यो से फोन मे बात करके वरदा की खराब तबियत पूछता रहता था.
वही मैने सुना,
‘ देखो! ये वरदा हमेशा अपनी छोटी बहन किरन से जलती रही है आज जब उसकी शादी मे ज्यादा खर्च होरहा है तो मुंह बनाये बैठी है.’
कुछ औरतो के झुन्ड मे
एक महिला पूछ रही थी
कि शादी के साल भर होजाने के बाद भी वरदा खुशखबरी क्यो नही सुनाई?
जरुर कोई बात है.
किरन की शादी होगई वह जब भी
दिखती थी पहले से कही ज्यादा खुश वही वरदा दिन प्रतिदिन कमजोर और बदसूरत होती जारही थी.
और तभी एक दिन वो खबर मिली जिसकी किसी ने उम्मीद नही की थी, किसी को विश्वास ही नही होरहा था कि
वरदा नही रही, तो क्या वरदा को कोई जानलेवा बीमारी थी? ये सवाल सबके दिमाग मे गूंज रहा था.
जब सुनील द्वारा वरदा के पति पर हाथ
उठाने की खबर सामने आई तो किरन
ने बताया कि वरदा के अंतिम संस्कार
के ही वक्त भुवन ने सुनील से धीमे से कहा,
“इस वरदा की वजह से मे समाज का सामना नही कर पा रहा था, अच्छा हुआ मर गई नही तो मै मार देता.”
दरसअल वरदा की मौत से भुवन इतना खुश था कि वह यह भूल गया कि किससे क्या कहना है?
किरन ने आगे बताया कि शादी के बाद कुछ दिन तो सबकुछ नॉर्मल था पर जिस दिन उसे ये बात पता चली की इस उम्र मे वरदा मां नही बन पायेगी तो उसने मानसिक रुप से वरदा से सम्बंध खत्म कर दिये यहां तक किसी तरह की बातचीत भी, पर उसने वरदा के घरवालो और समाज के सामने ऐसा दिखाया जैसे उनके बीच सब कुछ नॉर्मल है, वाकई किरन की शादी मे किसी ने इस बात पे गौर नही किया कि वह वरदा के हर रिश्तेदार से हंस कर बात करता था पर वरदा की तरफ तो वह देखता भी नही था.
वरदा अब टूट चुकी थी और अन्दर ही अन्दर घुट रही थी,उधर भुवन के सम्बंध दूसरी महिला से होगये थे जिसके बाद वह
डिप्रेशन की शिकार होई और फिर उसने अपना ध्यान रखना बन्द कर दिया वह सोती भी नही थी, और एक रात वह बड़ी मुश्किल से सोई पर वह दोबारा उठी ही नही.
कुल मिलाकर उसकी जान न तो डिप्रेशन ने ली न ही भुवन ने ली बल्कि उस समाज के डर ने ली थी, वह यह समझ गई थी कि उसके अपने ‘ समाज क्या कहेगा?’ का जवाब देने मे असमर्थ होचुके थे.
वाकई समाज हमारे लिये जरुरी है और
समाज की सुननी चाहिये पर इसे अपने ऊपर इतना हावी न होने दे कि आप स्वयं का ही आस्तित्व खो बैठे.