रकक्षन्दा2: कॉलगर्ल या कुलवधु

मेरी पिछली कहानी रकक्षन्दा: कर्म का फल मे आप एक स्त्री रकक्षन्दा के चरित्र से अवगत हुये जिसे न सही कहा जा सकता था  न गलत फिर भी उसकी पांच बार शादी रचाने की वजह से पांच घर उजड़ चुके थे उसकी खुद की बेटी प्रिया के अपने पिता की उम्र के व्यक्ति से शादी होजाने की वजह से सारे सपने चूर चूर होगये वही रकक्षन्दा की लापरवाही व अनदेखी की वजह से संदीप क्रिमिनल बन चुका था. रकक्षन्दा कुछ दिन के लिये उसी मुहल्ले मे आई हुई थी क्योकि संदीप गायब चल रहा था रकक्षन्दा पुलिस के पास जाने ही वाली थी कि संदीप अचानक घर पर हाजिर हो गया पर वह अकेला नही था उसके साथ एक लड़की
थी और उसके साथ एक 2-3 साल का बच्चा था. मुहल्ले की कुछ पंचायती औरतो को ये पता करते देर न लगी कि संदीप एक शादीशुदा लड़की को भगा लाया है.
वह लड़की कोई और नही पास ही के कुछ उच्च वर्ग के एक घर मे नौकरानी थी.
पहले तो रकक्षन्दा उन दोनो को देख कर आग बबूला होगई पर इस  वक्त अकेली रह रही रकक्षन्दा को घर की सुरक्षा की दृष्टि से संदीप की जरूरत थी इसलिये उसने उन दोनो को घर मे रख लिया.
गली की पंचायती औरतो मे रकक्षन्दा की
होने वाली बहु को रकक्षन्दा-2 कहना शुरू कर दिया आखिरकार रकक्षन्दा की तरह उसका चरित्र भी संदेह के घेरे मे था.
और आज  जींस टॉप पहन कर बड़ी बड़ी गाड़ियो मे घूमने वाली रकक्षन्दा भी तो कल एक नौकरानी ही थी इसलिये रकक्षन्दा-2 नाम रखने के  बाद किसी ने उसके असली नाम से नही पुकारा.
रकक्षन्दा को अपनी होने वाली बहु से तुलना होने पर बहुत चिढ़ होती थी पर उसे विश्वास था कि वह उसे संदीप की जिन्दगी से बाहर कर देगी.
लेकिन संदीप इस शादीशुदा लड़की  (जो उम्र मे संदीप से पांच छ: साल बड़ी लगती थी) के चक्कर मे फंसा कैसे?
फिर मुहल्ले की किसी चुगलखोर आंटी की कामवाली ने खुलासा किया कि एक बार संदीप पुलिस से बचने के लिये अपने दोस्त के घर छिपा था जहां उसके घर एक सरला नामक नौकरानी संदीप के कमरे मे कुछ ज्यादा वक्त बिताने लगी थी फिर पता नही दोनो के बीच क्या खिचड़ी पकी कि एक दिन सरला काम  पर नही आई तो संदीप उसे ढूंढता हुआ उसके घर चला गया था उस दिन के बाद दोनो गायब होगये थे.
‘राम राम! सरला जैसी औरतो ने ये समाज गंदा कर रखा है’ चुगलखोर आंटी की बाते सुनकर एक पड़ोसी ने कहा बाकियो ने हां मे हां मिलाई क्योकि
उड़ते उड़ते ये बात भी फैल गई कि सरला की  उससे पहले भी किसी से शादी हुई पर उसे छोड़ कर वह अपने
प्रेमी मोहन के साथ शहर भाग आई थी.

खैर इधर संदीप ने सरला से शादी करली तो बौखलाई रकक्षन्दा ने दोनो को घर से निकाल उस घर मे किरायेदार रख लिया और कही और जाकर रहने लगी.
संदीप बेरोजगार था और ठीक से पढ़ भी नही पाया था जिससे कि कोई ढंग की नौकरी कर सके वही सरला ने मजबूरन फिर न चाहते हुये भी कही दूर लोगो के घरो मे झाड़ु पोछा बर्तन करने लगी दोनो का एक टूटे फूटे एक कमरे मे
किसी तरह घर का गुजारा चल ही रहा था,  देखते देखते दोनो के दो और बच्चे होगये थे, कि अचानक इस बार संदीप को बिना किसी कसूर के  पुलिस उठाकर लेगई.
परेशान सरला मदद लेने के बजाय खुश दिख रही थी जैसे उसने ही पकड़वाया हो और  आजादी को महसूस कर रही थी. इसके बाद वह किसी और  लड़के के साथ घूमती दिखी.
‘सरला तो अपनी सास से भी ज्यादा
चरित्रहीन थी’
ऐसा कहते हुये मुहल्ले की औरते बस उसे आते और जाते देखती थी. हर बार आदमी अलग होता था इसलिये कानाफूसी करते हुये हंसती थी लेकिन एक दिन एक व्यक्ति
टैक्सी से सरला और उसके बच्चो को लेगया वो उस दिन के बाद से सरला वापस नही आई.

‘रकक्षन्दा की बहु कॉलगर्ल ही निकली.’

कई साल बीत जाने तक लोग यही बाते करके मनोरंजन करते रहे.
अचानक रकक्षन्दा के घर के किरायेदार मकान खाली करके चले गये और लोग
नये परिवार को मकान मे देखने के लिये उत्साहित होगये जिनका सामान एक गाड़ी मे लद कर आगया लोगो कि नजरे और गढ़ गई जब समान के साथ उस नये परिवार के दर्शन हुये क्योकि ये परिवार कोई और नही बल्कि सरला उसके तीन बच्चे (जोकि थोड़े बड़े होगये थे) और शायद उसका नया पति?
सरला के इस नये पति को काफी देर तक
ताड़ने के बाद किसी होशियार पड़ोसी ने उसे पहचानते कहा
‘अरे! ये तो वही है,
अपना गुन्डा संदीप’
वाकई वो संदीप था जो काला सा दिखने लगा था पर शराब या बीमारी की वजह से नही बल्कि मेहनत के पसीने से. कभी ब्रांडेड कपड़े और फैशनेबल लुक वाला संदीप एक साधारण सा आदमी लग रहा था.
‘पर इस कॉलगर्ल रकक्षन्दा-2 (सरला) को इसने माफ कैसे कर दिया जिसने संदीप को निर्दोष होते हुये भी फंसा कर जेल भिजवा दिया कर कईयो के साथ मुंह काला किया’
ये सोचते सोचते उस रात किसी को नींद नही आई. धीरे धीरे दिन चार पांच दिन
बीत गये सरला बाहर निकल कर लोगो को देख कर मुस्कुराती थी पर उसे कोई भाव नही देता था, लेकिन सरला के बच्चे बाहर खेलते थे उन्हे देख कर गली कुछ और  बच्चे (जो खाली समय पर वीडियो गेम खेलते या कार्टून देखते थे)  उनके साथ बाहर खेलने लगे, खेलते हुये ये सरला के ये दो  मासूम बच्चे बड़ो को आकर्षित करने लगे क्योकि उनके आचरण मे बाकी बच्चो की अपेक्षा ज्यादा शिष्टता थी.
लोग हैरान थे एक क्रिमिनल पिता के बच्चे इतने संस्कारी कैसे होसकते और फिर ये कलमुही सरला? इस गुत्थी को सुलझाने के लिये गली की एक औरत ने सरला से दोस्ती करली इस डर को दिमाग से हटा कर की कही सरला उसका सामान चोरी न करले या उसके पति पर बुरी नजर न डाले? दोस्ती के बाद वह सरला की पूरी कहानी सुन कर वह हैरान रह गई.
सरला हरियाणा के एक छोटे से गांव मे रहती थी वह महज दस साल की थी जब एक   सड़क हादसे मे उसके मांता पिता की मृत्यू होगई तब वह  अपने मामा मामी के घर मे नौकरानी की तरह रह रही थी
, 15 साल की उम्र मे उसकी शादी के नाम पर एक 35 साल के व्यक्ति कुंदन सिंह को बेच दिया था जिसने उसे पत्नी का दर्जा कभी दिया उसने  शारीरिक शोषण करने के बाद  उसने अपने नौकर के बेटे मोहन (जिसकी शादी के लिये लड़की नही मिल रही थी)  शादी रचा दी  कुंदन ने नई जिन्दगी शुरु करने के लिये मोहन पैसे देकर कही दूर जाने के लिये कहा तो वह उसे लेकर शहर आगया शहर आगया,
पहले कुंदन के दिये पैसो से शुरुआत के कुछ दिन तो ठीक बीते पर मोहन की शराब की लत और निकम्मेपन के कारण सरला घर एक घर मे आया की नौकरी करके पूरा घर सम्भाल रही थी.
उसी घर मे  कुछ दिन के लिये  संदीप पुलिस से बचने के लिये ठहरा हुआ था
पहले संदीप उसे मामूली नौकरानी कह
उससे ठीक से बात भी नही करता था.

पर अचानक संदीप बीमार  पड़ गया था, उसे देखभाल की जरूरत थी बुखार से तपता संदीप अपनी मां रकक्षन्दा को बहुत याद करता था, उस वक्त सरला ने संदीप की निस्वार्थ सेवा की. संदीप से बाते करके सरला को पता चला कि संदीप दिल का बुरा नही था वह बचपन से ही अपनी बेपरवाह मां के प्यार पाने को तरसा पर उसकी मां ने बचपन मे उसका सहारा लेकर लोगो से सहानुभूति लेकर फायदा उठाया फिर जैसे जैसे बड़ा हुआ तो  रकक्षन्दा एसिस्टेंट, ड्राइवर और बॉडीगार्ड बना पर बेटा कभी नही बन पाया.  सरला ने भी संदीप को अपनी दास्तान सुना डाली अब दोनो अच्छे दोस्त बन गये संदीप ने सरला को एक मोबाइल फोन दिया और भरोसा दिया कि वह किसी भी मुसीबत मे उसका साथ देगा.
सरला अपने जीवन से संतुष्ट होरही थी क्योकि वह गरीब ही सही पर वह आत्म निर्भर थी मोहन कैसा भी हो पर उसके लिये उसका पति था. एक दिन मोहन ने उसे वापस अपने ससुराल चलने के लिये मनाया तो वह तैयार होगई पर
मोहन को इतनी प्यार से पेश आते कभी नही देखा तो उसे दाल मे कुछ काला समझ आया, सरला का अनुमान सही निकला मोहन के हाव भाव और फोन पर होरही कुंदन सिंह से बातचीत से उसे समझ आगया था कि कुंदन मोहन के साथ मिल कर  उसके
जीवन के  साथ क्या खिलवाड़ कर रहा है? उसने मना किया तो मोहन ने उसे धमका कर कमरे मे बंद कर दिया.  पर सरला ने फोन करके संदीप को बुला लिया और दोनो वहां से भाग निकले.  संदीप उसे और उसके बच्चे को अपने घर ले आया संदीप ने रकक्षन्दा को ये कह कर मना लिया था कि वह महज एक नौकरानी की हैसियत से रहेगी पर असल मे संदीप के मन मे सरला के प्रति हमदर्दी प्यार बन चुकी थी,
एक दिन अपने मन की बात सरला से कही तो पहले वो तैयार नही हुई पर जब संदीप ने खुद को बदलने और उसके बच्चे को अपना बेटा मान कर प्यार देने का वादा किया तो वह भी अपना प्यार छिपा न सकी. दोनो ने गुपचुप शादी कर ली पर ये सब रकक्षन्दा को बर्दाश्त न हुआ और संदीप को घर से निकाल दिया.
जैसे तैसे संदीप और सरला एक टूटे फूटे कमरे जीवन गुजार रहे थे कि पैसो की जरूरत और सरला को काम करते देख खुद को मजबूर महसूस कर रहे संदीप ने एक बार फिर जुर्म का रास्ता अपनाने की सोची और वह एक बैंक रॉबरी  का हिस्सा बनने जारहा था जिसके लिये सरला ने उसे बहुत मना किया पर वह नही मान रहा था तब सरला ने पुलिस को खबर देकर संदीप को पकड़वा दिया.
सरला को वाकई इस बात की खुशी थी कि उसने संदीप को दोबारा जुर्म के रास्ते मे जाने से रोक लिया, संदीप ने अपनी सौतेली बहन प्रिया के बारे मे बताया था इसलिये सरला को यकीन था कि प्रिया उसकी मदद जरुर करेगी. उसने संदीप के कुछ नये -पुराने दोस्तो की मदद से प्रिया का पता लगा कर उससे संदीप और अपनी दास्तान सुनाई, प्रिया अपने भाई संदीप का जीवन संवरा हुआ देखना चाहती थी इसलिये प्रिया ने संदीप को जेल से छुड़वा दिया प्रिया खुद मजबूर थी वह बस इतना ही कर सकी वह भी अपने पति से छिप कर. संदीप पढ़ा लिखा नही था इसलिये अच्छी नौकरी मिलना मुश्किल था पर वह कार अच्छी ड्राइव करता था सो उसे ड्राईवर की नौकरी मिल गई, आजकल संदीप का 35 साल का तलाकशुदा मालिक जरुरत से ज्यादा खुश था उसने बताया नही पर संदीप को पता चल रहा कि वह आजकल किसी से चैट किया करता रहता थ‍ा और शायद उससे प्यार कर बैठा है पर संदीप को क्या करना था उसे तो आजकल ज्यादा पैसे मिल रहे थे  इसलिये सरला और तीन बच्चो का पालन पोषण करने मे काफी हद तक समर्थ होरहा था कि एक दिन संदीप के मालिक ने एक स्पेशल मेहमान  को एयरपोर्ट से लाने के लिये चलने के लिये कहा  एक स्त्री की तरफ इशारा करते हुये कहा उसकी होने वाली पत्नी को बुलाकर लाये.
संदीप ने जैसे ही उसे ‘मैडम सर बुला रहे है’ कहके बुलाय तो उस औरत ने मुड़कर संदीप की तरफ देखा तो संदीप और वह महिला भौचक्के रह गये  क्योकि ये महिला 52 वर्ष की होचुकी रकक्षन्दा थी फिर संदीप धीरे से बोला
‘मॉम आप फिर शादी करने. . .’
रकक्षन्दा  उसकी बात का कोई जवाब न देते हुये अपने युवा ब्यॉयफ्रैंड की तरफ बढ़ती हुई चली गई. संदीप भी बिना कुछ बोले गाड़ी चला कर रकक्षन्दा और उसके ब्यॉयफ्रैंड को घर लेआया. रकक्षंदा उस घर मे रहने लगी और दूर से संदीप को देखती रहती पर वह जब संदीप रकक्षंदा की तरफ देखता वह आंखे फेर लेती थी संदीप के मालिक को अब तक अब तक ये नही पता चल सका की उसका ड्राइवर संदीप उसकी गर्लफ्रैंड रकक्षन्दा का बेटा है और रकक्षन्दा ये चाहती भी नही थी कि उसे इस बारे मे पता चले.
एक दिन रोज की तरह संदीप  काम खत्म होते ही घर लौटके आया सरला हमेशा की तरह किचेन मे लगी था और बच्चे वहीं पढ़ रहे थे, तभी दरवाजे मे किसी ने दस्तक दी सरला ने दरवाजा खोला तो वह खुश हुई पर कुछ बोलने की हिम्मत नही जुटा पाई क्योकि सामने रकक्षन्दा थी  रकक्षन्दा अन्दर आई और संदीप
के सिर पर हाथ रख कर बोली
‘इस नौकरानी के चक्कर मे तू  भी पक्का नौकर बन गया, अच्छा है  मै नही बदली पर कम से कम तू बदल तो गया . . .’
इतना कह कर उसने संदीप को गले लगा लिया और फिर बच्चो को प्यार किया.
अन्त मे सरला से संदीप को लेकर   अपने घर जाने का निवेदन किया और साथ ही संदीप को एक पुरानी कार दिलवा दी ताकि वह अपना खुद का व्यवसाय कर सके.

तब से सरला और संदीप यहां अपने घर आगये. और धीरे- धीरे तरक्की करने लगे लोगो को समझ आया कि जिसे वे कॉलगर्ल समझ रहे थे वह तो कुलवधु निकली जिसने संदीप जैसे र‍ाक्षस को इंसान बना दिया सरला की कहानी सुनने के बाद अब
लोग  अपनी अपनी -अपनी उम्र के हिसाब से उसे रकक्षन्दा2 न कह सरला बेटी, बहन, भाभी या आंटी पुकारके सम्मान देने  लगे.

रकक्षन्दा कभी कभी उन दोनो से मिलने भी आती पर आसपास के लोगो से नजरे नही मिलाती थी  पर सरला की अच्छाई देख कर लोग उसे भी सम्मान देने लगे.

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