एक लड़की की हार

“अगर वो लड़का तुम्हे आंख मार रहा था,

तो घर आकर मुझे और पापा को बताती तुम्हे हीरो बन कर उसे थप्पड़ मारने के लिये किसने कहा था”

अपनी मां द्वारा डांटे जाने पर

आशिता ने जवाब दिया था

” लेकिन  मम्मी! मुझे गलत बर्दाश्त ही नही होता है.”

कल और आज मे बहुत कितना फर्क है

गलत बर्दाश्त न करने वाली  आशिता के पास गलत को अपनाने के अलावा और कोई रास्ता नही.

मै आशिता को तब से जानने लगी जब मेरे पड़ोस मे रहने वाली वीना आंटी ने अपनी होने वाली बहु की तस्वीर मुझे दिखाई थी और पूछा था कि कैसी है तुम्हारी भाभी? मै आरुष को भईया कहती थी जो वीना आंटी का इकलौता बेटा था.

 

एम.बी.ए. करने के बाद वह मां बाप से अलग रह कर दिल्ली मे जॉब  कर रहा था. और अब कभी -कभी ही घर आता था.

हालांकि आरुष से सब चिर परिचित थे क्योकि उसका कॉलेज की लगभग हर लड़की के साथ अफेयर था ये बात आरुष की मम्मी को छोड़ कर सबको पता थी.

आरुष किसी भी लड़की को लेकर सीरियस नही था इसलिये उसने अरेंज मैरिज का फैसला कर लिया था.

फिर क्या था? शादी की तैयारियां  चलने लगी मेरी पुराने ख्यालो वाली   आंटी  आशिता को लेकर रोज चर्चे करने लगी जैसे आशिता बहुत शर्माती है, खाना बहुत अच्छा खाना बना लेती है, ऐसी ही बहु हमे चाहिये, सीधी सादी लड़की चुनी है  जॉब वाली लड़कियो के नखरे कौन सहे?

इधर आशिता के घर मे गुलाबी रंग के चश्मा पहन के कैसे कैसे सपने सजाये जा रहे होंगे ? ऐसा मैने अन्दाजा लगा लिया था जैसे कि करोड़ो की प्रॉपर्टी है और लड़का दिल्ली जैसे शहर मे अपने फ्लैट मे रहता है इसलिये शादी के बाद कौन सा आशिता को ज्यादा सास ससुर के साथ रहकर उनकी सेवा करनी होगी. अरे भाई!  सभी को सपने देखने का हक है ये सोच कर मैने शादी एंजॉय करने मे कॉसेंन्ट्रेट कर लिया.

आखिरकार आशिता विदा होकर ससुराल आगई, मैने आशिता से बातचीत की तो मुझे पता चला की आशिता  पढ़ाई और करियर को इंम्पॉर्टेंस देने वाली सजग लड़की थी खैर! उसके ससुराल मे भी पढ़ाई करने और सरकारी नौकरी करने की खूब छूट थी.  उसकी जिन्दगी  तूफानो से भरी होगी ये मुझे पहले से ही पता था.

शादी के बाद आशिता का दूसरा दिन था

आरुष और आशिता रीति रिवाज निभाने मे मगशूल थे कि तभी घर मे चार लोग  घुसे और  आरुष  को जबरन पकड़ कर लेगये, आशिता ये सब देख कर चीख पड़ी पर  उसकी सास बबिता ने कहा

“अरे! लड़को – लड़को के बीच तो ये सब चला करता है”

आशिता को अन्दर अपने कमरे मे जाने का इशारा दे दिया.

आशिता चुपचाप अपने कमरे चली गई, शाम को आरुष घर लौट आया, उसके चेहरे पर चोटो के निशान थे.

आशिता ने सवाल किया तो आरुष खामोश रहा  जब दोबारा पूछा तो उसे अंगुली दिखाते हुये  आरुष ने कहा कि उसके मामलो मे  इन्टरफेयर न करे तब आशिता ने उसे अंगुली को नीचे करके बात करने और इस मामले मे सवाल करने का अधिकार होने की बात की तो आरुष वहां से चला गया. आशिता पगफेरे की रस्म के चलते अपने मायके चली गई,  आशिता एक मॉल मे शॉपिंग कर रही थी कि उसकी नजर एक व्यक्ति पर पड़ी जो वही था जो अपने साथियो के साथ मिलकर आरुष को उठा कर लेगया था, आशिता ने उसे टोका और अपना परिचय देते हुये उसने उससे अपने मन के अन्दर पनपते हुये सवाल को पूछा तो पता चला कि वह आरुष की एक्स गर्लफ्रैंड का भाई था जब उसकी शादी की बात की गई तो आरुष के मां बाप ने 20 लाख रुपये दहेज मांगा जब उसकी बहन ने आरुष से बात की तो उसने ये कह कर पल्ला झाड़ लिया कि वह अपने मां बाप के अरमानो की बहुत इज्जत करता है इसलिये वह कुछ नही कर सकता, ये रिश्ता टूट जाने और शादी हो जाने के बाद भी आरुष अपनी पूर्व प्रेमिका को मैसेज पे मैसेज किये जारहा था इस लिये उसने उसे समझाने के लिये ऐसा कदम उठाया.

ये सुन कर आशिता को बहुत गुस्सा आया वह घर लौटी तो देखा कि आरुष उसे घर लेने आया हुआ था, घर मे सबके चेहरो की मुस्कान देख कर आशिता चुपचाप आरुष के साथ अपने ससुराल चली गई.

जाते ही मेरी डॉमिनेटिंग वीना आंटी ने आशिता को घर के काम मे इस तरह उलझा दिया जैसे कि वह कोई काम करने की मशीन हो इसलिये उसे आरुष से बात करने का समय नही मिला पर आखिरकार जब आशिता ने आरुष से सवाल किया तो आरुष ने आशिता को थप्पड़ जड़ दिया, थप्पड़ से बौखलाई आशिता ने आरुष को ऐसा धक्का दिया कि वो दीवार से भिड़ गया और जिससे की उसके माथे मे चोट लग गई.

बात बाहर तक आई तो आशिता की बात किसी ने नही सुनी वीना आंटी और अंकल ने जानबूझ कर सिर्फ आरुष की छोटी सी चोट पर गौर किया.

वीना आंटी ने गुस्से मे तुरन्त आशिता के मम्मी पापा को बुलवा दिया.

 

“पति का सम्मान करना चाहिये  ये सिखाया नही आपने अपनी बेटी को?”

 

वीना आंटी ने  आशिता के पैरेंट्स से अकड़ते हुये कहा कि आशिता बोल पड़ी

 

“पर पति को भी  तो पत्नी का सम्मान का सम्मान करना चाहिये, ये आप को भी तो. . ”

आशिता की मां ने चिल्लाकर “चुप”

कह कर डांट दिया.

आशिता हर बार अपनी आधी बात कह पाती कि उसे  चुप करा दिया जाता सबका फोकस सिर्फ आरुष के सिर पर लगी चोट पर गया क्योकि आरुष अपनी चोट दिखा कर

“देखिये आशिता ने कैसे मारा है”

कहकर हमदर्दी बटोरता रहा आखिरकार आशिता ने अपनी मां के बहुत समझाने पर न चाहते हुये भी सबसे माफी मांग ली.

आरुष और आशिता दिल्ली चले गये लगा कि सबकुछ ठीक होगया पर एक दिन अचानक आरुष आ गया,  और वापस दिल्ली गया ही नही. पड़ोसियो  के पूछने पर वीना आंटी ने बताया कि आशिता आरुष और अपनी दुधमुही बच्ची खुशी का ध्यान नही रखती इस कारण दोनो मे झगड़ा होगया इसलिये आरुष उसे छोड़ कर यहां आगया है बेचारा बहुत दुखी है उनकी बात किसी को हजम नही हुई क्योकि अगर आशिता बच्ची का ध्यान नही रखती है तो आरुष को बच्ची को लेकर घर आना चाहिये था जरुर कोई और बात है ये सोच कर पड़ोसी औरतो ने पता लगाना शुरु कर दिया , एक दिन आरुष आशिता  को लेकर घर आया. एक बार अंकल आंटी शादी मे गये हुये थे , उन दोनो की मैरिज एनीवर्सिरी के दिन मैने आशिता को छत पर कपड़े सुखाते हुये देखा तो मैने कहा

‘मैनी मैनी हैप्पी रिटर्न्स ऑफ द डे, आशिता भाभी!’

आशिता ने जवाब दिया

कैसा हैप्पी रिटर्न्स?  शादी करने के बाद मेरी जिन्दगी मे कभी हैप्पिनेस रिटर्न नही हुई. इतना कह कर वह मुस्कुराकर चली गई.

उसका ऐसा जवाब सुन कर मै  स्तब्ध रह गई.

शाम को आरुष घर लौट कर आया  तब कम बोलने वाले आरुष ने अचानक मेरे घर की डोरबेल बजाई  और अन्दर आकर बहुत ने अपनेपन से बाते करने लगा उसकी बातो से समझ आगया कि उसने शराब पी रखी है,

आरुष ने बताया कि मम्मी पापा नही है इसलिये आशिता इस बात का फायदा उठा कर उसे घर मे घुसने नही देरही है.

 

मेरी मां ने आशिता को कॉल किया तो आशिता ने गेट खोल दिया और आरुष अन्दर चला गया.

अगले दिन आरुष हमारे सामने से किसी से बिना कुछ बात किये  ऐसे निकल गया जैसे कल रात की बात उसे याद ही न हो.

उसके बाद आशिता हमारे घर आई उसने

कल वाली बात के लिये माफी मांगी फिर मेरी मां ने आशिता के सिर पे हाथ रख के उसे अपने पास बिठा कर उसकी समस्या पूछी तो आशिता मेरी मां से लिपट कर रोने लगी और जो उसके दिल मे था उसने कह दिया.

जब आशिता आरुष के साथ दिल्ली गई तो साल भर तक सब कुछ किसी तरह ठीक चला पर एक दिन आरुष को नौकरी से निकाल दिया गया क्योकि उसका काम करने में मन नही लगता था सारा दिन वह ऑफिस की लड़कियो से फ्लर्ट करने मे गुजारता था ये नौकरी आरुष के पापा ने अपनी सिफारिश से लगवाई थी पर बॉस आखिरकार कब तक आरुष को झेलता.

आशिता प्रेगनेंट थी और वह उससे दूसरी  नौकरी करने के लिये प्रेरित करती थी पर वह कुछ करना ही चाहता था और वापस घर भी नही जाना चाहता था क्योकि जो आजादी उसे यहां अकेले मिलती थी वो अपने मम्मी पापा के घर नही थी.

 

आरुष के मम्मी पापा पैसे भेजने लगे उन्ही से घर चलने लगा आरुष उन पैसो से बस अपने महंगे शौक पूरा करता, बाकी समय आशिता को ब्लैकमेल करने गुजारता था कि वे अपने घर की बाते अपने मम्मी पापा से न बताये.

आशिता ने एक बच्ची खुशी को जन्म दिया आशिता सिर्फ आरुष के साथ किसी तरह निभा रही थी कि एक दिन  क्लब मे शराब के नशे मे  आरुष ने  एक अजनबी  लड़की से डांस की रिक्वेस्ट की उसने मना  किया तो आरुष ने उससे जानबूझ कर  झगड़ा किया जिससे हंगामा होगया आरुष को क्लब से बाहर निकाल दिया गया पूरी रात आरुष एक नाली मे पड़ा रहा, आशिता पूरी रात आरुष के बारे मे पता लगाती रही अंत मे आशिता किसी तरह वहां पहुंची जहां आरुष पड़ा हुआ था और आरुष को घर लेकर आई,

होश आने पर आशिता ने आरुष को समझाने की कोशिश की तो वह उल्टा उसके कैरेक्टर पर अंगुली उठाते हुये बोला कि खुशी उसकी बेटी नही.

ये सुनने के बाद आशिता के आत्म सम्मान को बहुत ठेस पहुंची इसलिये उसने आरुष से कहा कि अगर वह खुशी का पिता नही तो अब से उसे खुशी का मुंह देखने का कोई हक नही इतना कहने के बाद आशिता ने अपनी टिकट बुक  कराई, सामान बांधा और अपने घर चली गई. आरुष टका सा रह गया वह सोच रहा था कि ऐसा बोलने के बाद आशिता रोयेगी गिड़गिड़ायेगी और उसकी गलत हरकतो को बर्दाश्त करती रहेगी. आशिता के जाने के बाद पहले तो आरुष ने बहुत मौजमस्ती मारी पर  इसके बाद वह  खुशी को देखने के लिये तड़पने लगा.  वह घर लौट के आया और अपने मम्मी पापा को सारा हाल बताया.

आखिरकार आरुष को अपनी अकड़ भुलाकर आशिता से माफी मांगनी पड़ी.

अब आशिता फिर घर आई तो आरुष ने दूसरे तीसरे दिन ही शराब पीकर आशिता को और आशिता की फैमिली मेम्बर्स को बुरा भला कह कर अपना बदला लेने लगा साथ ही आरुष का छोटी छोटी चीजे लाने के लिये मम्मी पापा से पैसे मांगना आशिता की घुटन का कारण बन चुका था.

हालांकि आरुष की नौकरी ने प्रति  बेपरवाही देख कर  आरुष के पापा ने आशिता को बी.एड. मे एडमीशन दिलवा दिया आशिता कॉलेज जाती और घर का सारा काम भी कर रही थी. आरुष चाहता तो था कि आशिता टीचर बने पर उसे डर था कि कही इस चक्कर मे आशिता उस पर हुक्म न चलाने लगे इसलिये वह उस पर अपने आलतू फालतू काम मढ़ कर उसकी पढ़ाई मे डिस्टर्ब करके टॉर्चर करता था इस पर जब आशिता आरुष के मम्मी पापा से कम्प्लेन करती तो उसे बस यही नसीहत दी जाती कि

वे आशिता कि पढ़ाई पर इतना खर्च कर रहे है उसकी हर जरुरत पूरी कर रहे है सिर्फ इसलिये कि आरुष की शादीशुदा जिन्दगी सामान्य बनी रहे इसलिये  आशिता   चुपचाप उनके बेटे को बर्दाश्त करे.

एक दिन आरुष ने मामूली झगड़ा होने पर आशिता पर हाथ उठाने की कोशिश की इस बार आशिता ने कोई पलटवार नही  किया बल्कि सामान बांधा, खुशी को उठाया और अपने मम्मी पापा के घर चली गई, आशिता के जाने के दूसरे दिन ही आशिता के पापा का एक्सीडेंट होगया  जब आरुष अपने मम्मी पापा  के साथ हॉस्पिटल पहुंचा तो आशिता की मां ने आशिता को आरुष के साथ वापस घर भेज दिया.

अब आरुष ने इस बात का और फायदा उठाना शुरु कर दिया वह आशिता को फिजीकली और मेंटली टॉर्चर करने लगा.

लेकिन आशिता हार नही मानी उसने

आरुष को चेतावनी दी अगर उसने दोबारा उसके परिवार को बुरा भला कहा या फिर उस पर हाथ उठाने की कोशिश की तो वह घर छोड़ कर कही और चली जायेगी, भले ही उसके लिये उसे अपना बी.एड. और अपने मम्मी पापा का घर  छोड़ना पड़े.

आरुष जानता था कि मायके के सिवा आशिता का और कोई ठिकाना नही इसलिये एक दिन खुशी को को स्कूल छोड़ के आने के बाद उसने जानबूझ कर आशिता के पापा को बुरा भला कह कर झगड़ा क्रियेट किया जिस पर आशिता आरुष पर बरस पड़ी तो गुस्से मे ‍आरुष ने आशिता को थप्पड़ मार दिया  आरुष ने दूसरा थप्पड़ मारने के लिये जब हाथ उठाया तो आशिता ने आरुष का हाथ पकड़ लिया और कहा

बस आरुष!

तुमने अपनी सीमा पार कर दी अब मुझे भी एक सीमा पार करनी है.”

इतना कह कर आशिता  ने अपना बैग उठाया और बाहर के दरवाजे की ओर बढ़ने लगी वह दहलीज लांगने ही वाली थी कि उसे चक्कर आगया और वह गिर पड़ी. जब आशिता की आंख खुली तो आशिता ने खुद को अपने कमरे मे लेटा हुआ पाया और सामने एक लेडी डॉक्टर थी जिसने आशिता से कहा अब आपको अपना ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है क्योकि आप एक बार फिर से मां बनने वाली है, इतना सुनते ही आशिता को लगा कि हालातो के सामने घुटने टेकने अलावा अब कोई चारा नही.

आशिता ने मुझे फोन पे बताया था कि उसके पास कुछ किताबे है जो मेरे काम की है सो मै वीना आंटी के घर आशिता के कमरे पर वो किताबे देखने पहुंच गई अपने नवजात पोते को खिलाने मे व्यस्त वीना आंटी ने आशिता के कमरे मे जाने को कहा, जैसे ही मैने कमरे मे एन्टर किया तो देखा कि आशिता आरुष के कपड़े इस्त्री कर रही थी. आशिता ने मुझे बिना देखे  कराहती हुई आवाज मे  कहा कि तुम्हारी किताबे यहां रखी है, आशिता की आंख के नीचे  पड़े हुये चोट के निशान उसके दु:ख के साथ- साथ उसकी नही बल्कि एक लड़की की हार बयां कर रहे थे.

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