तेरी याद…………
यादों में तेरी खोये हुए ,
पता ही नही चला कब शाम हो गई।
एक आहट हुई, थोडी घबराहट हुई,
फिर सोचा, अब तो ये बात आम हो गई।
रोज चलती है ये पुरवाई और
अकेले रह जाते हैं मै और मेरी तन्हाई।
जी करता है तुझे अपना बना लूँ,
पर क्या करें?? राहें इतनी जो वीरान हो गई।
तेरा ख्याल जब भी आता है,
दिल में एक सैलाब सा लाता है।
जिस खुशी पे नाज़ था हमे,
वो खुशी ही हमसे अनजान हो गई।
क्या कहूँ के क्या फरेब खाया है??
गलतियाँ कर के देखो,,, मै भी तो बदनाम हो गई।
तुझसे कोई गिला नही मुझे ,
अब तो अश्क बहाती आँखे भी परेशान हो गई।
यादों में तेरी खोये हुए,,
पता ही नही चला कब शाम हो गई॥
नमस्ते भूमिका जी,
बहुत अच्छा लिखा है आपने,
मेरी शुभकामनायें स्वीकार करें।
thanks a lot…
Bhumika, aapke sabd bahut acche lage….Ye Bhav agar kuch simata te, to gazal hoti….Likhti raho….Shubkamnaye… aapko…. aur aapse jude un sabhi ko…. jinse aap prerit hoti hai.
thanks a lot..