छोटी बेल की है हसरत,कि वो आसमा को छू ले| हर बूटा उसे बढ़ाके नई उँचाई दे दे | इस दुनिया के मलिक या जब हसरत उसकी जानी| मिट्टी बारिश बूटों से कृपा उस पर कर डाली| बढ़ने लगी लता वो सुंदर ,नयी उँचाई पाली | लगी डोलने मस्तानी चाल में वो मस्तानी | उँचाई पर आकर वो लतिका भूल गयी फिर सब कुछ| अपने मद में वो इठलाई और लगी लहराने | हीन भावना उसमें फिर धीरे-धीरे आई| दूसरी बेलें कितनी छोटी,कितनी निर्बल, यह सोचकर,खुद पर वो इठलाई| इस दुनिया के मलिक ने जब यह नज़ारा देखा, कई बार मौका देकर उसे फिर समझाया| मस्त बेल कुछ भी न सुनकर,करने लगी मनमानी| वर्षा,बूँदों,मिट्टी ने फिर साथ उसका छोड़ा| मुरझा कर लतिका वो,जा मिट्टी में मिलगई| सुनो ऐ दोस्त, हसरतें करना अच्छा है,पर इतना तुम न भूलो, तुमसे बड़ा है जग में "ईश्वर" उसे कभी न छोड़ो|
6 Replies to “आप सभी को नमस्ते”
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Thanks sounds nice now.
Sounds good in first look but still needs more interesting content.
bahut achha
शुक्रिया,सुधाकर और सब ठीक-ठाक है? Please keep visiting.