Multiple Personality Disorder या अंधविश्वास

मेरी उम्र करीब पांच या छ: साल रही होगी जब मैने देखा कि मेरी दादी चुपचाप बिस्तर पर लेटी हुई थी मै हमेशा की तरह उनका दुलार पाने के लिये उनके पास जाकर बैठ गई पर हमेशा ममता से भरी रहने वाली दादी के सिर पर हाथ रखा तो वे ‘कौन है’ चिल्लाते हुये मेरा हाथ झटक कर अचानक उठ के बैठ गई, उनकी बदली हुई आवाज और  निकली हुई लाल आंखे देख कर मै डर कर कमरे से बाहर भाग गई. दादी भारी आवाज मे चिल्ला चिल्ला कर  किसी की गल्तियां बताये जारही थी साथ ही अपनी तारीफ किये जारही थी, उस वक्त उनके पास असमान्य ताकत आगई थी कि किसी को भी उठा कर फैक सकती थी व उन्हे पकड़ने के लिये चार लोग भी कम पड़ते थे, मेरे पापा और परिवार के बड़े बूढ़े उनके सामने हाथ जोड़ कर बैठ गये और उन्हे ठाकुर जी (इष्टदेव) कह के दादी की  हां मे हां मिलाने लगे. आसपास के कुछ लोग पहले आगे आते थे फिर डर के कारण पीछे की तरफ हट रहे थे यू मानो डरावनी फिल्म देख रहे हो, मैने अपनी बड़ी बहन से पूछा कि दादी को क्या हुआ है? तो उसने बताया कि दादी के ऊपर भगवान आये है और जिसने गलती की है उसे सजा देना चाहते है, काफी  देर बाद दादी बेहोश होगई और कुछ दिन बीमार रही. इस घटना के  बहुत दिनो बाद मैने देखा पड़ौस की एक औरत की हालत बिल्कुल वैसी थी जैसी लगभग मेरी दादी की थी, आसपास के  लोग कंफ्यूस्ड थे कि इसके ऊपर कोई देवी है या चुड़ैल, उसकी बाते सुन कर कुछ ज्ञानी-महाज्ञानी लोगो ने निष्कर्ष निकाला कि कोई प्रचंड प्रेतआत्मा है. जैसे तैसे  उस महिला के रिश्तेदार बुलाये गये फिर काफी मशक्कत के बाद  ठीक होगई   और पहले जैसी नॉर्मल होगई पर मैने और सारे बच्चो ने डर की वजह से उस के घर जाना छोड़ दिया ये सोच के कि पता नही कब वो चुड़ैल बन जाये? खैर  मुझे  यकीन हो चला था कि  भगवान और भूत दोनो होते है.

यहां मेरी दादी का हाल तो सदाबहार था
हर शादी समारोह  या किसी खास आयोजन मे भी उनके  ऊपर ठाकुर जी आते थे, सब यही मानते थे कि ठाकुर जी आशिर्वाद देने आये है पर ये बात और है कि अफरा तफरी मच जाने के कारण रंग मे भंग पड़ जाता था जो किसी को भी नही अच्छा लगता था साथ ही दादी को रिकवर होने मे चार- पांच दिन लग जाते थे. मुझे ऐसा लगने लगा कि ये भगवान जरुरत के वक्त तो काम आते नही है ऊपर से न चाहते हुये भी परेशान करने चले आते है,  जबकि मैने तो ये हमेशा यही सुना है कि भगवान  किसी का  बुरा नही चाहते.
तभी मेरे घर मे एक ऐसी घटना घटी जिसके बाद कहानी मे नया मोड़ आया मेरे पापा ने एक नया घर लिया था जिसके बाद  बिजनेस मे नुकसान होने लगा, पालतु जानवरो की एक के बाद एक मौत होने लगी  और एक फिर एक रोड एक्सीडेंट.
तभी एक दिन दादी के ऊपर ठाकुर जी आये और इस नये घर को मनहूस बताने लगे साथ ही पड़ौसियो मे किसी एक पर जादु टोना करने का इल्जाम लगाने लगे, उनकी बाते सुन कर इस बार  अचानक मेरा माथा ठनक गया मुझे याद आया कि एक दिन दादी ने मुझसे अपनी इस शंका के बारे मे बताया था कि कही ये जगह मनहूस तो नही?  या कोई टोटका कर रहा है. अब तो मुझे दादी पर शक होने लगा कि वो नाटक तो नही तो नही करती? क्या सच मे भगवान के पास इतना फिजूल समय है कि वह किसी के शरीर मे आकर टाइम पास करे, जबकि हम सब जानते है कि भगवान तो हम सब मे पाया ही जाता है फिर उन्हे अलग से अपनी आइडेंटिटी शो करने की क्या जरूरत?   पर ये भी बहुत बड़ा सच था कि मेरी दादी ड्रामा कभी नही कर सकती थी.
तभी मैने एक साइकोलॉजिस्ट से बात की तो मुझ Multiple Personality Disorder   के बारे मे पता चला ये एक दिमागी बिमारी होती है इसमे इंसान पागल या साइको नही होता है बस कुछ समय के लिये इंसान का दिमाग से इतना नियंत्रण खोजाता कि वह कुछ और ही बन जाता है. इस अवस्था मे इंसान को पता नही होता कि वो क्या कर रहा है पर जो भी करता है उसमे उसकी अपनी दबी हुई इच्छा छिपी होती है. खैर उसने जिस तरह का ट्रीटमेंट करने के लिये कहा वो किसी को सही नही लगा.
मेरी दादी बहुत सीधी सादी थी, उन्हे परिवार का कोई भी सदस्य कुछ भी कहता तो वे चुप रह कर बर्दाश्त कर लेती थी और अपनी इच्छाओ को भी किसी से नही बता पाती थी लेकिन उनके अन्दर इम्पॉटेंस पाने की एक भूख थी जो ठाकुर
जी बन कर मिट जाती थी कहने का मतलब कोई भी काम उनकी इच्छा का नही होता था तो वे किसी से कुछ नही कहती थी पर पर अन्दर ही अन्दर बेचैन होजाती थी और अंत मे उनके अन्दर एक दूसरी पर्सनालिटी आने लगी जो थी ठाकुर जी की पर्सनालिटी और ठाकुर जी की बात कोई टाल नही सकता था.
ये एक ऐसा मानसिक रोग है, जब इंसान हद से ज्यादा डिप्रेशन मे रहने लगता है या अपने मन की बात किसी के सामने रख नही पाता और नाराजगी होने पर नाराजगी  नही जता पाता तो ये  बीमारी इंसान को घेर सकती है, कभी कभी ऐसी अवस्था मे व्यक्ति के अन्दर सिर्फ  एक दिन  के लिये होती है उदाहरण के तौर पर जिस महिला पर चुड़ैल का आना सिध्द किया गया था उसके अन्दर कोई भूत नही था बल्कि क्रोध था जो निकल नही पारहा साथ ही डिप्रेशन बढ़ रहा था ,  वो  अपनी 5 साल की बेटी के साथ अकेली रहती थी, काफी समय से परेशान थी क्योकि उसके पति का किसी और से अफेयर था और ये बात वो सबसे छिपा रही थी,  वह  बाजार से लौट रही थी तभी अचानक उसे खबर मिली कि उसका पति दूसरी शादी कर रहा है  अत्यधिक डिप्रेशन के कारण गर्मी के मौसम की चिलचिलाती धूप मे उसे कोई फर्क पड़ रहा था वह पैदल चलती जारही थी उसे खुद नही पता नही चला वो घर कब पहुंची, अचानक उसने अपना आस्तित्व खो दिया और उसके अन्दर एक ऐसी महिला का आस्तित्व आगया जो भद्दी सी आवाज मे लोगो को गालियां देकर कोस रही थी, य़ू माने कि ये दूसरा आस्तित्व उसके अन्दर की भड़ास थी जो पागलपन के रुप निकल रही थी क्योकि वह असल आस्तित्व मे वह अपने गम को छिपा कर  लोगो से मुस्कुरा कर ही बात कर सकती थी.
इसलिये अहम बात ये है कि जिस तरह मुस्कुराना जरुरी है उसी तरह नाराजगी जताना भी जरूरी होता है साथ ही अपनी इच्छाओ को दबाना नही चाहिये.
ऐसे ही मुद्दे पर एक फिल्म बनी थी जिसका नाम  था भूलभुलैया (2009), फिल्म मे  अभिनेत्री विद्या ने एक ऐसी महिला की भूमिका निभाई थी जिसे डिप्रेशन के चलते मल्टीपल  पर्सनालिटी की बीमारी होजाती है. इस फिल्म की कहानी  मिर्च मसाला लगा कर जरूर गढ़ी गई थी पर फिल्म देखने के बाद ठाकुर जी वाली समस्या को हल करने मे काफी मदद मिली, हमने अपनी दादी की इस पर्सनालिटी को हैंडल करने का तरीका बदल दिया गया साथ पर्सनालिटी  को आने से रोकने के उपाय भी किये गये जैसे कि उन्हे अकेलापन महसूस न होने न होने देना, उनकी इच्छाओ को पूछ कर उसका ख्याल रखना या टेंशन वाले हालातो मे उनके ध्यान को बटाये रखना, लेकिन फिर भी जब आखिरी बार ठाकुर जी की पर्सनालिटी आई तो किसी ने किसी ने भी उस पर्सनालिटी को इम्पॉर्टेंस नही दी तब ये पर्सनालिटी  खुद को एक प्रेतआत्मा बता कर सबको कंफ्यूज्ड करने और डराने की कोशिश करने लगी फिर भी कोई नही डरा तो ये पर्सनालिटी हार मान कर हमेशा के लिये खत्म होगई.

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2 Replies to “Multiple Personality Disorder या अंधविश्वास”

  1. हमारे समाज के लिए ग्यानवर्धक और उपयोगी जानकारी |

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