स्थल, हम और पेयजल

 हम जानते है कि इस धरती मे सिर्फ 29 % ही स्थल है बाकी 71 % जल है.

अरे वाह! वह धरती में इतना पानी है फिर क्यो  लोग पानी के लिये मारा मारी करते है? समझने वाली बात है कि पीने योग्य सिर्फ 2 % पानी ग्लेशियर्श  रूप में, नदियों के पानी के रूप में और भूमिगत जल ( Water Table  का confined और unconfined Water) के रुप व्याप्त है बाकी जल खारा है.
1971 मे विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा निर्धारित  पेय जल मानक के अनुसार
स्वच्छ, शीतल, स्वाद युक्त तथा गंधरहित होता है साथ ही इसका ph मान 7 से 8.5 होता है क्योकि ph मान  7 से कम होने पर एसिडिटी बढ़ती है वही 8.5 से ज्यादा होने एल्कलाइन बढ़ता है कुल मिला जल मे अगर कुल ठोस पदार्थ 500 mg/litre,  सम्पूर्ण कठोरता 2 mg/l, सल्फेट 200 mg/l, क्लोराइड 200 mg/l, कैल्सियम 75 mg/l और मैगनीशियम मे 30 mg/l  से ज्यादा मात्रा मे पाये जाये तो पानी पीने योग्य नही रहता.  दरसअल
वर्षा का जल शुध्द पेय जल होता है जो नदियो, कूपो व भूमि मे रिस कर हमे प्राप्त होता है.

पर दुर्भाग्य की बात है  ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पेय जल का मुख्य स्त्रोत  ग्लेशियर पिघल रहे है.
नदियो का जल  कूड़ा करकट व  फैक्टिरियो से निकले केमिकल्स आदि मिलने की वजह से प्रदूषित होरहा है हालांकि इससे अछूता जमीन के अन्दर का जल भी नही है, विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation)  की  एक रिपोर्ट के अनुसार  प्रदूषित जल पीने मे भारत  तीसरे स्थान पर है.

अगर किसी ने भविष्यवाणी की है कि
तृतीय विश्व युध्द सिर्फ पेय जल के लिये ही लड़ा जायेगा तो ये बात अब गलत नही लगती पर जब संकट आने से पहले ही अगर संकट से अवगत करा दिया जाये तो संकट से कोई भी बच सकता है पर जल संरक्षण को लेकर इतनी जागरुकता फैलाये जाने के बाद भी  कुछ बेवकूफ और मगरुर लोगो को सिर्फ अपनी परवाह है  जिसका उदाहरण मुझे अपने ही आसपास के लोग और प्रशासन मे मिल गया. मेरे घर मे बोरिंग हुये लगभग 22 साल हो चुके थे और और 2-3 बार जमीन मे ड्रिल करवा के पाइप बढ़वाये जाने और आसपास और समर्सेबिल पम्प लगने के कारण  जल स्तर काफी नीचे चला गया  भीषण गर्मी के दिनो मे मोटर सिर्फ  रात को ही चल पाती थी अभी हाल ही मे  चार पांच परिवारो ने समूह बना कर  एक जगह पर बोर कराया  समूह मे आकर बोर करवाने का कारण यह नही था कि उनके पास पैसे की कमी थी बल्कि असली कारण था लगातार गिरता भूगर्भिक जल स्तर बोरिंग होने के बाद हमे
हमे पता था कि बहुत जल्द एक दिन ऐसा आयेगा जिस दिन मोटर रात को भी नही चलेगी पर साल भर तो कट ही जायेगा फिर अचानक एक दिन एक व्यक्ति का परिवार गांव से शहर शिफ्ट हुआ था
लोगो ने उसे उस बोर से अपना कनेक्शन देने का ऑफर दिया पर उस  बेवकूफ आदमी ने उनका ऑफर ठुकरा दिया  और अपनी बोरिंग  कराने का फैसला लिया, जिससे आसपास के लोगो मे हलचल मच गई क्योकि सबको पता था कि उसी जगह पर एक और  समर्सेबिल पम्प लगना सही नही फिर भी लोगो ने उससे समझौता  करने की सोचते हुये उससे कनेक्शन लेने की बात कही साथ ही खुद प्लम्बर ने उसे इस समझौते की सलाह दी पर मानसिकता से गंवार व्यक्ति को न धरती मां पर दया आई नाही समझदार लोगो  की परवाह हुई उसने एक राक्षस की तरह घरती का सीना  बहुत गहराई तक चिरवाया और पानी निकाला जिसका असर हमारे  अगल बगल वाले  बोर पर पड़ा और पानी का स्तर और नीचे चला गया. मेरे घर मे दूसरा बोर कराने की पर्याप्त जगह है फिर भी  धरती को  छलनी करके हम बोर करवाने के बजाय सप्लाई वाला पानी लेना चाहते थे  लेकिन सप्लाई वाले पानी की सच्चाई जानकर हमे हैरानी हुई कि लोगो के घर पानी दस दस दिन नही आता है साथ वह बहुत गन्दा होता है हम विचार ही कर रहे थे कि क्या होना चाहिये? कि तभी एक मजबूर परिवार ने गैर कानूनी तरीके से सड़क खुदवाकर बोर करवाया तमाम तरह से कम्प्लेन करवाने के बावजूद पुलिस प्रशासन ने कोई एक्शन नही लिया क्योकि पुलिस और नगर निगम  वालो ने रिश्वत ली थी.
पेयजल संरक्षण तो दूर की बात  किसी को धरती के दर्द से कोई लेना देना नही  न तो लोगो को न ही प्रशासन मे जागरुकता है ये तो वही हाल हुआ कि हम जिस डाल पर बैठे है उसी को काट कर रहे है कहने का तात्पर्य है की जिस तरह अंधाधुंध समर्सेबिल पम्प लग रहे है इससे न सिर्फ
धरती का जलस्तर गिर रहा है (वाटर टेबल की ऊपरी परत जो कि कंफाइंड वाटर की होती है तथा निचली परत अनकंफाइंड वाटर की होती है, का संतुलन बिगड़ रहा है) बल्कि प्राकृतिक आपदाओ जैसे भूकम्प को
न्यौता मिल रहा है.
‘चुल्लु भर पानी मे डूब मरो’
ये कहावत मैने सुनी है पर पेय जल लेकर बेपरवाही करते हुये लोगो को देख कर ऐसा लगता है कि डूब मरने के लिये तो पानी ही पानी होगा पर पीने के लिये चुल्लु भर पानी भी नसीब नही होगा.
बड़े दुख की बात भूमिगत जल  के जरुरत से अधिक दोहन के घातक परिणाम  दिख रहे है फिर भी लोगो और प्रशासन  के कान मे कोई जू नही रेंग रही है.

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