सच ! गाय हमारी माता है

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कामधेनु इस  दुनिया की पहली गाय है जिनसे सभी गायो का आस्तित्व है. देवताओ और राक्षसो के बीच हुवे समुद्र मंथन से  कामधेनु  की उत्पत्ति हुई जिन्हे देवताओ द्वारा स्वीकार किया गया.
कामधेनु की बेटी  नन्दिनी की सेवा और सुरक्षा के लिये भगवान राम के परबाबा ने रघुकुल की रीति का पालन करते हुवे अपना राजपाठ  तक छोड़ दिया था.
भगवान कृष्ण गायो से बहुत प्यार करते थे व गौमाता कहके  उनकी सेवा करते थे इसलिये उन्हे गोविन्द कहा जाता है. हिन्दु सभ्यता के अनुसार गाय को यूही गौ माता का दर्जा नही मिला है वह सच मे इस लायक है कि उसे मां जितना सम्मान मिले क्योकि गाय की खास बाते ये है कि  गाय हमारे लिये उतनी ही हितकारी है जितनी कि हमारी मां, जब हम बीमार पड़ते है तब हमे हमारी मां की जरुरत पड़ती है और   दवाईयो के साथ गाय के दूध की जरुरत पड़ती है. नवजात शिशु  भी या तो अपनी मां का दूध पीसकता है या गाय का क्योकि उचित पोषण  पाने के साथ इसे पचाना आसान होता है. पेट का कैंसर हो या ट्यूमर शुरुआती दौर मे अगर गाय का
दूध नियमित रुप से लिया जाये तो आसानी से रिकवर किया जा सकता है.

गाय का पुराना घी इतना उपयोगी होता है जिसे आंखो मे लगाने से आंखो की रोशनी व अन्य समस्याये दूर होजाती है व इसके घी से दिमागी इलाज भी होता है.साथ ही गाय के घी से जलाई हुई आग का धुआ प्रदूषण नही उत्पन्न नही करता. जिस के  मल (गोबर) तक का उपयोग शरीर की खुजली मिटाने मे किया जाता है व जिसके मूत्र से  भी  दवाईया बनती है उस गाय मे 33 करोड़ देवी देवी देवताओ के निवास करने की बात मानने मे कोई अंधविश्वास वाली बात नही होनी चाहिये क्योकि भगवान तो वही रहता है जहां अच्छाई और सबका हित होता है. 

फिर भी अगर आप ये कहते है कि भैस भी तो दूध देती है पर उसे भैस माता का दर्जा क्यो नही मिला ? इस जवाब ये है कि
सबसे पहले तो भैस भी एक उपयोगी व सीधा सादा जानवर होने के नाते  आपसे प्रेम और मानवता जैसे व्यवहार का अधिकार रखती है.लेकिन  भैस का दूध गाय के दूध जितना फायदेमन्द नही होता और पौराणिक युग की के  अनुसार भैस के  इतिहास की बात करे तो दुष्ट राक्षस महिषा सुर को जन्म देने वाली एक भैस ही थी दरस अल एक प्रचन्ड राक्षस एक भैस पर मोहित होगया और उसने एक भैसे का रूप धारण कर लिया लेकिन एक दूसरा ताकतवर  भैसे ने उस राक्षस पर हमला कर दिया जिससे उस राक्षस की मृत्यू हो गयी . उसकी मौत से दुखी भैस ने उसकी चिता पर छलांग लगा कर जान दे दी और उस अग्नि से महिषा सुर का जन्म हुवा जिसका वध करके मां दुर्गा महिषासुर मर्दिनी कहलाई.

जैसा कि हम जानते है कि प्रत्येक प्राणी सांस के रुप मे ऑक्सीजन लेकर कार्बन डाईआक्साइड छोड़ता है पर सिर्फ गाय ऑक्सीजन लेकर ऑक्सीजन ही छोड़ती है.
ये बात जानकर कौन गाय को खास नही मानेगा ? बहुत ही दुख और शर्म की बात है कि हमारे देश मे ही कई ऐसे लोग है जो गाय
को काट कर  उसका मांस खाने की इच्छा रखते है.

कही कही पर गाय के साथ इतनी क्रूरता की जारही है जिससे इंसानियत शर्मसार होरही है .देखिये इंसान के भेष लिये कुछ खुंखार जानवर कैसे गौमाता को मौत के घाट उतारते है?

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जैसे कटने से पहले वो ये कह रही है  ‘मुझे मार कर अगर तुम्हे खुशी मिल रही है तो मार दो मै कुछ नही कहुंगी’

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एक अकेली गाय से इतने लाभ है जिन्हे गिनते गिनते गिनती खत्म होजायेंगी पर लाभ नही खत्म नही होंगे.

पौराणिक काल हो या आज का विज्ञान युग गाय के अहसानो का कर्ज  कोई भी  नही चुकाया पाया है .

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