भाग्य और बुध्दि

बहुत पहले मैने एक कहानी सुनी थी जिसमे भाग्य और बुध्दि की लड़ाई मे बुध्दि श्रेष्ठ साबित हुई, लेकिन तब मै इस कहानी से सहमत नही हुई क्योकि मैने बहुत से  मेहनती और बुध्दिमान लोगो को असफल होते देखा और मेरे मन मे एक सवाल आया कि क्या भाग्य साथ न दे तो बुध्दि भी  उस समय साथ छोड़ देती है?
हम मे से लगभग सभी लोग है जो किस्मत को मानते है? हां मगर ये बहुत बड़ा सच है कि असफल होगये तो कहते है कि  मेरी तो किस्मत खराब है वही सफल होगये तो कहते कि ये सब मेरी मेहनत का फल है. उदाहरण के तौर अगर विराट कोहिली जैसा दिग्गज बल्लेबाज जीरो रन पर आउट होजाये तो सब यही मानते है कि आज विराट का दिन अच्छा नही था. कहने का मतलब है कि  हम सब कही न कही किस्मत को मानते है जो सिर्फ कुछ हद तक  सही है क्योकि मेहनत से कम और किस्मत से ज्यादा किसी को नही मिलता.

लेकिन जब मैने एक पौराणिक कहानी सुनी तब मुझे असफलता या दु:ख पाने की असल जड़ समझ आई.
एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि दु:खी लोगो को दु:ख पे दु:ख और कुछ सुखी लोगो को सिर्फ खुशी क्यो मिलती है? भगवान शिव पार्वती की बात का जवाब दिये बगैर उन्हे एक जगह ले गये  जहां कुछ खुश और कुछ दु:खी लोग रहते थे. भगवान शिव ने उनसे  झोपड़ी बनाने के लिये सामान मंगवाया तो पार्वती जैसे तैसे  कुछ टूटा फूटा सामान ले आई फिर  शिव ने पूछा कि ये तुम कैसे लाई? तो उन्होने बताया कि बिखरा पड़ा हुआ था तो मैने उठा लिया. मुझे लगा जिसका है उसे अपने सामान की  फिक्र ही नही थी तभी तो इस कदर अव्यवस्थित था इसलिये मुझे ये सामग्री उठाना आसान लगा फिर भगवान शिव ने पार्वती को समझाया कि ये पड़ा हुआ सामान उन लोगो का है जिन्होने अपने घर अव्यवस्थित करके रखे है अगर उनका सामान ठीक जगह पर रखा होता तो क्या तुम उनका सामान बेकार समझ के उठा कर लाती? ठीक उसी प्रकार
मनुष्य के दिमाग  मे उपजती विचारो की अव्यवस्था ही उसके दु:खो की जड़ है.
जो लोग सकारात्मक सोच के साथ दिमाग को व्यवस्थित रखते हुये सिर्फ कर्म करता है वह सफल होता है और निरन्तर खुश बना रहता है वही जो नकारात्मक विचारो को सारा दिन  सोच कर समय व्यर्थ करता है तो उसका दिमाग अव्यवस्थित  होजाता है और परेशानियो को निमंत्रण देने लगता है. ऐसी अवस्था मे किये गये कर्मो का  उचित फल नही मिलता.
भगवान कृष्ण ने गीता मे कहा है कि कर्म करो फल की चिन्ता न करो. कहने का तात्पर्य है कि ‘कल क्या होगा? या कल क्या हुआ था?’ था ये सब बाते दिमाग हटा कर सिर्फ आज के कर्म पर ध्यान देना ही सफलता पाने और खुश रहने का तरीका है.

आज की इस भागदौड़ भरी जिन्दगी के दौर मे लोगो पर नकारात्मकता हावी होरही है क्योकि बच्चे, जवान और बूढ़े सिर्फ टेंशन का शिकार होरहे है. बच्चो को अच्छे मार्क्स लाने और अभिवावक व टीचर की डांट की टेंशन, जवान लोगो को करियर और शादीशुदा जिन्दगी से सम्बंधित टेंशन और बूढ़ो को बिमारियो और अपने बच्चो की टेंशन.
सच कहे तो ये टेंशन ही हमारे सारे दु:खो की जड़ है जो हमे न हमे अच्छा सोचने देती है न हमारे साथ कुछ अच्छा होने देती है.
जिन्दगी मे इंसान का खुश  रहना  बहुत जरुरी है, अगर आप खुश है तो आप स्वस्थ रहेंगे और आपका चेहरा प्राकृतिक रुप से अच्छा दिखेगा बल्कि बढ़ती उम्र मे आप खुद को जवान रख सकते है लेकिन प्राय: होता ये है कि इंसान की ज्यो ज्यो उम्र बढ़ती है त्यो त्यो चिन्ताये भी बढ़ती जाती है. बिमारियो को न्यौता मिलता है और फिर आपका कमाया हुआ सारा पैसा आपकी बिमारियो मे खर्च होजाता है, अन्त मे आप सारी समस्याओ और असफलताओ  का कारण सिर्फ अपनी किस्मत के सिर मढ़ कर  उम्र से पहले ही दुनिया से विदा ले लेते है.

लेकिन सच तो ये है कि किस्मत के बनने या बिगड़ने मे सबसे अहम रोल हमारे दिमाग का होता है. भगवान कृष्ण ने गीता मे यह भी कहा है कि व्यक्ति जैसा सोचता है ठीक वैसा ही वो बनता चला जाता है फिर उसके साथ वैसा ही घटित भी होने लगता है.
इसका मतलब अगर हम सिर्फ पॉजीटिव सोचे तो हमारे साथ सब कुछ पॉजीटिव ही होगा? बिल्कुल पर एक सीमा के अन्दर, जैसे कि पॉजीटिव सोच के दम पर हम  एक दिन मे महल तो नही बना सकते या अमिताभ बच्चन नही बन सकते पर अपनी जिन्दगी को स्थिति के अनुसार बेहतर कर सकते है.

‘भाग्य और बुध्दि’ वाली कहानी वाकई सच है  क्योकि मैने लगातार प्रयास करने वाले और सकारात्मक सोच के लोगो को भाग्य से लड़कर अपने सपनो को पूरा करते देखा है.

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4 Replies to “भाग्य और बुध्दि”

  1. Sahi kaha apne aaj kal ki sabhi problems ki root tension hai par me ess tension ka reason technology ko manti Hun…. Jab se ye hamare jiwan me aaya hai tab se esne hume apna shikar bna lia hai…. Me khud shayd ess technology ke bina jina soch ni sakti….

  2. Nice post Mis Arpita. This is call Low of Attraction! Which thought u repeat and feel more time whether it is positive or negative it will happens in life.To control on it is too difficult but not impossible.which u feed more it will be stronger.

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