बोलना वास्तविक रुप मे एक कला है, कहां क्या बोलना है? ये समझ पाना वास्तव मे कभी कभी बहुत कठिन होजाता है क्योकि सभी लोगो की सोच एक समान नही होती है. उदाहरण के तौर पर नेता नगरी या आर्मी मे तेज आवाज मे बोलने वाले प्रभाव छोड़ते है वही उसी तेज आवाज का इस्तेमाल अगर कॉर्पोरेट या ग्लैमर वर्ल्ड के लोगो के बीच करे तो लोग आपको पसन्द नही करेंगे.
लगभग हर व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति की तलाश रहती है जो उन्हे सुने न कि अपनी सुनाये. तथ्य है कि अच्छा वक्ता बनना इतना आसान नही अक्सर हम कुछ ऐसा बोल जाते है फिर सोचते है कि हमे ये नही कहना चाहिये था या हमे वो नही कहना चाहिये. बड़े बड़े सेलेब्रिटी कभी कभी ऐसे वाक्य बोल देते है जिसकी वजह से उन्हे विवादो का सामना करना पड़ जाता है.
खैर ये तो सेलेब्रिटी हैं, पर हम अगर कुछ बातो का ध्यान रखे तो काफी हद तक अच्छे वक्ता बन सकते है-
• अच्छा वक्ता बनने के लिये सबसे पहले एक अच्छा श्रोता बनने की कोशिश करे,
जब आप लोगो को सुनेंगे तो तो आप उसकी अच्छी बुरी बाते सुन के आप को खुद महसूस होगा कि आप कब और क्या बात ऐसी बोलते है जो लोगो को अच्छी लगती है या खराब.
• आप कितने भी ज्ञानी हो पर इसका मतलब ये नही कि हर किसी को मूर्ख समझ कर जबरजस्ती अपने उपदेश देने न लगे इससे आपकी ऊर्जा तो नष्ट होगी ही साथ ही लोग आपकी बाते पसन्द नही करेंगे.
• बहुत ज्यादा बाते करने से न सिर्फ समय और ऊर्जा बरबाद होती है बल्कि आपके शब्दो से आपकी लगाम खत्म होजाती है और फिर कभी कभी आपके मुंह से ऐसा कुछ निकल जाता है जिसे बोलने के बाद
आपको निन्दा मिलती है.
• बात करते समय किसी को प्रभावित
करने के लिये बेफिजूल की झूठी बड़ाई या हद से ज्यादा बड़ाई न करे, ऐसा करने पर ज्यादातर लोग आपकी बातो मे सन्देह करते है और आपको महत्व नही देते.
• बिल्कुल भी बात न करना या सिर्फ हां या न का उत्तर भले ही उसमे आप हल्की हंसी के साथ देरहे हो पर ये लोगो को पसन्द आता.
• अक्सर ये माना जाता है कि हमेशा मुस्कुरा कर बाते करनी चाहिये पर ये बात हर परिस्थिति पर लागू नही होती कभी कभी कोई थोड़ा परेशान हो फिर भी आप हंस कर बात कर रहे है तो ये सामने वाले को अखर जाता है. कभी कभी आप को खुशी मिल जाये वही आपके मित्र को दु:ख उस समय अपनी खुशी को काबू मे रखते हुऐ मुस्कुरा कर बात न करना ही सभ्यता है.
• कुछ लोग दिल की बाते जुबान पर रखने के नाम पर किसी को भी कुछ भी बोल देते है, सही मायने मुंहफट होना असभ्यता है इसलिये दिल मे जो है वो जरुर व्यक्त करे पर बिना किसी के दिल को ठेस पहुंचाये.
• अपनी बाते कर लेना दूसरो की न सुनने वालो को हर कोई नजरअन्दाज करने की कोशिश करता है इसलिये ‘कुछ हम कहे कुछ तुम कहो’ वाला रवैया रखे तो आपकी बातचीत मे परिपक्वता आयेगी.
• सबसे अहम बात ये है अपनी कथनी और करनी का संतुलन बनाये रखे, सिर्फ मीठी जुबान के दम आप लोगो को ज्यादा देर तक नही लुभा सकते जब तक कि लोग आपके कर्मो से संतुष्ट न हो.
very nice ,
thanks for this comment