जरुरी नही कि पहलवान की सन्तान पहलवान बने या डॉक्टर की सन्तान डॉक्टर यहां तक कि इस बात की guarantee भी नही है कि महापुरुष का बेटा एक अच्छा इंसान बने, आपको ये सुन कर बहुत अजीब लगेगा हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जैसे महापुरुष का बेटा हरिलाल एक महापापी इंसान था जिसने शराब के नशे मे अपनी ही नौबालिग बेटी के साथ rape किया था, इस बात का खुलासा तब हुआ जब गांधी जी द्वारा लिखा गया letter दुनिया के सामने आया जिसमे ये कहानी उजागर हुई कि गांधी जी की पोती साबरमती आश्रम मे रहने आई और उसने उन्हे अपने पिता की करतूतो के बारे मे बताया तब गांधी जी को अपने बेटे को गुस्से एक ऐसा letter लिखा जिसमे उन्होने अपने ही बेटे से कहा था कि तुम्हे मर जाना चाहिये.
एक महापुरुष का बेटा इतना बड़ा शैतान कैसे होसकता है?
कहने का तात्पर्य है कि आप कितने भी अच्छे हो पर अगर आप अपने बच्चो पर समय रहते ध्यान नही देंगे तो उनका एक अच्छा इंसान बनना बहुत मुश्किल है.
कुछ मां बाप ज्यादा लाड़ प्यार मे अपने बच्चो को बिगाड़ देते है तो कुछ हद से ज्यादा पाबंदियां लगा कर उन्हे पथभ्रष्ट होने पर मजबूर कर देते या कुछ अपने लक्ष्यो (Targets) की प्राप्ति के लिये अपने बच्चो पर ध्यान नही दे पाते है.लेकिन निम्नलिखित बाते है जिन पर अमल कर के हम अपने बच्चो को इंजीनियर, डॉक्टर आदि बनाने से पहले एक बेहतर इंसान बना सकते है –
1 – 3 साल से 12 साल तक के दौर मे आप जितना चाहे उतने अच्छी सभ्यता ( good manners) दे कर आप उन्हे अपने सांचे ढाल सकते है.
2 – पांच साल तक के बच्चे का brain का विकास होजाता है यही समय होता है उनकी गलतियो पर नजर रख कर उन्हे तुरन्त समझाने का, बात न मानने पर उन्हे सख्ती से जरुर डांटे और उनके अच्छा काम करने पर या गलती को ठीक करने पर शाबासी देना न भूले.
2 – आपके पास पैसे कम हो या ज्यादा बच्चे की हर जिद पूरी न करे और उन्हे पैसे की value का अहसास दिलाये.
3 – सबसे अहम बात ये है कि किसी भी लक्ष्य जैसे कि अच्छे marks लाने के लिये उन पर pressure डालने के बजाय उन्हे पुरुस्कार का लालच दे और अपना promise निभाना भी मत भूले साथ ही जिस activity जैसे game, singing, painting आदि पर उनका खास interest आपको दिख रहा है उसको बढ़ावा दे न कि अपनी इच्छा को उन पर थोपे.
4 – 10 -12 साल तक के समय तक आप जितना चाहे उतने अच्छे संस्कार उनके
अन्दर डाल सकते है वे आपके मुताबिक ही सीखेंगे . अगर इतनी उम्र तक बच्चो पर ध्यान नही दे पाते है तो इसके बाद उनकी thoughts पर अपना control कर पाना मुश्किल हो जाता है.उदाहरण के तौर पर अगर मिट्टी गीली है तो आप उसे कोई भी आकार दे सकते है पर अगर यही मिट्टी सूख कर सख्त हो जाये तो आपका उसे मनचाहा आकार देना तो दूर की बात आप कोई भी आकार नही दे पायेंगे. ज्यो ज्यो बच्चो की उम्र बढ़ती है त्यो त्यो बच्चो के सोचने का तरीका सख्त मिट्टी की तरह होता चला जाता है.
5 – सही knowledge देकर बच्चो की हर जिज्ञासा (curiosity) दूर करे ताकि आपकी अनुपस्थिति (absence) मे भी वे सही गलत मे अन्तर समझ कर स्वयं खुद को protect कर पाये.
6 – लड़की हो या लड़का जो भी change उनकी उम्र के हिसाब से आने वाले हो उनके बारे मे खुल कर बताये ताकि वो changes आने पर वे परेशान होने के बजाय बदलाव को maturity से accept करे.
7- अगर आप चाहते है कि आपका teenager बेटा या बेटी बेफिजूल के love affair या attraction के चक्कर मे न पड़े तो उससे related नुकसानो सहित उचित knowledge दे, इससे ऐसी उम्र के नाजुक पड़ाव पर आने तक जब व्यर्थ भटकाव महसूस करेंगे तब आपके द्वारा समझाया हुआ सही – गलत का अन्तर उन्हे भटकने नही करने देगा.
8 – किशोरावस्था मे बच्चो को डांट कर बिल्कुल भी बर्दाश्त नही होती और आपको लगता है कि आप डांट कर उनको समझा लेंगे तो आप बिल्कुल गलत है, इस उम्र मे बच्चो के parents, teacher के अलावा ऐक और important role आपको निभाना है वो है सच्चे दोस्त की भूमिका इसमे आपको उनके दोस्तो से भी friendly होना है पर friendly होते समय इस बात का ध्यान रखे कि बच्चो को ऐसा नही लगना चाहिये कि आप उनकी जासूसी कर रहे है बल्कि उन्हे space दे. इस role मे आपको उनकी सोच और इच्छाओ को importance देते हुवे उन्हे कुछ इस तरीके से lead करना है कि वे अनुशासित वातावरण (desciplined atmosphere) मे freedom को महसूस कर पाये.
याद रहे हद से ज्यादा आजादी और हद से ज्यादा पाबन्दी दोनो ही गलत है.
अगर आप अपने बच्चो पर पूरी तरह अच्छे संस्कार देने मे कामयाब होते है तो वे कितने भी बड़े होजाये पर हमेशा आपके ही बने रहेंगे और एक अच्छे इंसान बन कर आपका नाम रौशन करेंगे.