ऊफ्फ! ये मोबाइल!

मोबाइल बनाने वाले,.क्या तेरे मन में समाई...
तू ने काहे ये चीज़ बनाई...
काहे बनाया तू ने छोटा सा इसको...
कोई भी धर ले अपनी पॉकेट में इसको...
चोरी हो जाए तो भी आफ़त ना छूटे भाई...
...........काहे ये चीज़ बनाई तू ने काहे ये चीज़ बनाई|

सड़क पे देखो टेढ़ी गर्दन के पुतले...
लगता है बातें करते ये हमसे,
पास जाओ तो बनो,
लल्लू के लल्लू ओ भाई...
............काहे ये चीज़ बनाई तू ने काहे ये चीज़ बनाई|

घर पर भी इसने पूरे...
ऑफीस हैं खोले... 
बॉस भी कभी अब पीछा ना छोड़े...
हसबैंड और वाइफ में भी ये,
अब तो करा दे लड़ाई...
............काहे ये चीज़ बनाई तू ने काहे ये चीज़ बनाई|

सुख भी ये छीने और चैन भी छीने,
टाइम बचा दे फिर ये टाइम भी छीने,
...दूरी कम कर के भी इसने,
और भी दूरी बढ़ाई...
............काहे ये चीज़ बनाई तू ने कहे ये चीज़ बनाई|

8 Replies to “ऊफ्फ! ये मोबाइल!”

  1. अरुण जी नमस्कार,
    क्या आपने इस बार हिन्दी लिखने के लिये अन्तर्निर्मित सुविधा का प्रयोग किया? या पहले की तरह आपको क्विलपैड की साइट पर जाना हुआ।
    कोई समस्या आ रही हो तो टिप्पणी या ई – मेल से संपर्क करें।
    धन्यवाद।

    1. नमस्ते जी , जी मैं इंडिक मोड और अँग्रेज़ी मोड के ओप्शन देख सकता हूँ| धन्यवाद| क्विलपैड का प्रयोग अब भी करते हैं क्योकि हमें कुछ शब्द इंडिक से लिखने नही आते है,लेकिन हम सीख रहें हैं | आपकी टीम के प्रयास सराहनीय हैं|
      I was having problem to add widget,I got quick support from your team thanks.

  2. Comment from sid- kitni achchi hindi likhte ho bhaloo chacha, kahan se sikhi,kon se acharya ji ne padai hai?Aap kase ho chacha ji,itni achchi hindi ki kavita kahan se sikhi?

    1. बिटिया, ऊँट चाचा से बोलो सिखा देंगे| उनसे स्लेट मंगवा लेना ठीक है?

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