रजिया सुल्तान इल्तुतमिश की बेटी थी जो कि पहले कुतुब्बुद्दीन ऐबक का गुलाम था उसकी स्वामि भक्ति से खुश होकर कुतुब्बुदीन ने अपनी बेटी से उसकी शादी करवादी और उसे अपना वारिस घोषित करदिया . कतुब मिनार पुरी बनवाने से पहले ही कुतुब्बुदीन की मौत होगयी. दिल्ली की पूरी तरह से बागडोर सम्भालने बाद उसने कुतुबमिनार का निर्माण पूरा करवाया . रजिया सुल्तान ( धर्म – इस्लाम , वंश – गुलाम , मूल – तुर्क ) का जन्म 1905 उत्तर प्रदेश बदायुं मे हुवा हालांकि इसमे मतभेद है. रजिया का लालन पालन समान्य राजकुमारियो की तरह हुवा पर उस समय राजकुमारियो को भी अस्त्र शस्त्र चलाना सिखाया जाता था ताकि वे विपरीत समय मे अपनी रक्षा कर सके . किन्तु रजिया ने खुद को पूरी तरह पारंगत करने मे कोई कसर नही छोड़ी और उसमे एक सुल्तान बनने के सारे गुण आगये थे लेकिन फिर भी रजिया का सगा भाई तख्त सम्भालने के लायक था लेकिन उसकी अचानक मौत होजाने के कारण इल्तुतमिश ने रजिया को गददी पर बिठाने का इरादा बना लिया था पर लोगो को ऐक लड़की का उन पर राज करना कुबूल नही होरहा था इसलिये न चाहते हुवे भी उसे अपनी तीसरी पत्नी शाह तुर्कान के अयोग्य बेटे को रुकुनुदीन को दिल्ली का शासक घोषित कर दिया इल्तुतमिश की मौत होते ही रुकुनुद्दीन तख्त पर बैठा लेकिन उसके अत्याचार का घड़ा 6 महीने मे ही भर गया और विद्रोह के दौरान मां बेटे की हत्या कर दी गयी .आखिर कार सन 1236 का वो ऐतिहासिक दिन आया जब एक लड़की भारत ( दिल्ली ) की शासक बनी .न्यायप्रिय व ईमानदार रजिया ने अपने पिता के अधूरे सपनो को पूरा किया. उसे बिल्कुल पसन्द नही था कि कोई उसे सुल्ताना बुलाये इसलिये उसे रजिया सुल्तान ही बुलाया जाने लगा .वो पुरुषो की तरह पोशाक पहनती थी और बाकी औरतो की तरह पर्दा या नकाब पसन्द नही करती थी. वो सब कुछ बहुत अच्छे सम्भाल रही थी लेकिन 1240 बठिंडा के गवर्नर अलतूनिया ने दिल्ली पर आक्रमण कर दिया और लड़ाई मे रजिया को हराने के बाद उसने रजिया को एक किले मे कैद कर दिया और शादी या मौत मे किसी एक को चुनने के लिये कहा अन्ततः रजिया के शादी चुनी, जानकारो के अनुसार इसके पीछे की वजह यह थी कि रजिया और उसके गुलाम याकुत के बीच नजदिकियां अल्तूनिया व बाकी लोगो को अखर रही थी चूंकि अल्तुनिया रजिया का बचपन का दोस्त था लेकिन याकूत और कुछ गलत फैमियो के कारण वो रजिया का दुश्मन बन गया और युध्द के दौरान उसने याकूत को मार दिया . शायद ये ऐक प्रेम त्रिकोण था . लेकिन रजिया के दूसरे सौतेले भाई बहराम शाह ( इल्तुतमिश की पहली पत्नी का बेटा ) ने ईस लड़ाई का पूरा फायदा उठाया और दिल्ली का सुल्तान बन गया. रजिया से रिश्ते ठीक होते ही अल्तुनिया ने रजिया को फिर से सुल्तान बनाने के लिये लड़ाई छेड़ दी पर युध्द मे बहराम शाह ने हराने के बाद दोनो को कैद कर दिया पर अल्तूनिया मौका पाते ही रजिया के साथ भाग निकला पर ये राहत ज्यादा दिन के लिये नही था क्योकि कुछ दिनो बाद ( 1240 ) उन दोनो पकड़ कर उनका बेरहमी से कत्ल कर दिया गया . रजिया सुल्तान की कहानी पर रजिया सुल्तान ( 1983 ) नाम की एक फिल्म बनी जिसमे हेमा मालिनी ने रजिया की व धर्मेन्द्र ने याकूत की भूमिका निभाई
फिल्म मे याकूत को हीरो के तौर पर दिखाया गया . सन 2014 मे & TV पर रजिया सुल्तान पर टी. वी सीरियल भी शुरु हुवा जिसने शुरुआत मे खूब trp बटोरी पर कहानी बेफिजूल खीचने के चक्कर मे दर्शक बहुत कम होगये और सीरियल को बन्द कर पड़ गया.दरसअल सीरियल मे याकूत को रजिया से एक तरफा प्यार करने वाले विलेन के तौर पर दिखाया और अल्तुनिया को हीरो इस वजह से कहानी उलझ गयी हालांकि रजिया सुल्तान बनी पंखुड़ी अवस्थी ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया .
खैर फिल्म और TV सीरियल मे कहानी को रोचक बनाने के लिये जो भी दिखाया गया हो पर इतिहासकारो का मानना है कि रजिया सुल्तान एक धार्मिक और सिर्फ लक्ष्य पर ध्यान देने वाली स्त्री थी .