सलीम अनारकली की प्रेम कहानी के बारे मे सब जानते है उसके पीछे की वजह है फिल्म मुगल ए आजम . लेकिन कई इतिहास कारो का मानना है कि इस कहानी के साक्ष्य नही है इसलिये ये कहानी मिथक हो सकती है पर कहते है पाकिस्तान मे एक अनारकली मार्केट है जहां अनारकली की कब्र है. बहुत कम लोग ये जानते है कि सलीम ही जहांगीर था जो कि ताजमहल बनवाने वाले शाहजहां का पिता था, सलीम उसके बचपन का नाम था .कथित कहानी के अनुसार सलीम की प्रेमिका अनारकली को दीवार मे चुनवाये जाने के बाद सलीम की जिन्दगी मे कई शहजादियां उसकी बेगम बनी. वर्ष 1605 मे अकबर की मौत के बाद सलीम तख्त पर बैठा और मुगल सम्राट जहांगीर कहलाया. एक दिन उसकी नजर उसके दरबार मे एक उत्सव के दौरान एक सैनिक की विधवा और एक बच्ची की मां पर पड़ी देखते ही वह उसकी खूबसूरती पर फिदा होगया. उसने उसे अपनी बेगम बनाने का प्रस्ताव दिया दोनो ने जल्दी ही शादी करली फिर जहांगीर ने उसे नूर महल नाम दिया. हैसियत के मामले अन्य बेगमो के सामने नूर महल का कोई वजूद नही था पर अपने तेज दिमाग के चलते धीरे – धीरे अर्थशास्त्र, राजनीति, प्रशासन के मामलो मे रुचि लेने के कारण वह हरम (बेगमो व अन्य महिला कर्मचारियो के रहने की जगह) की मालकिन बन गयी और कब नूर महल से नूरजहां बन गयी पता ही नही चला. जब जहांगीर की नशा लेने की आदत की वजह से उसका स्वास्थ्य खराब होगया जिसकी वजह से उसे एक विश्वस्त व्यक्ति की जरुरत थी जो उसका कोर्ट ‘जहाना’ सम्भालने मे उसकी मदद करे तब नूरजहां ने उसकी उम्मीदो को पूरा किया.
अपने जहांगीर की पत्नी नूरजहां एक बहादुर स्त्री थी. एक बार जहांगीर एक यात्रा पर गया था जहां उसके दुश्मन महावत खान ने उसे मारने का षड़यंत्र रचा था लेकिन नूरजहां ने महावत खान के इरादो को गुप्तचरो के सहयोग से उसके षडयंत्र के बारे मे पहले ही पता कर के महावत खान जहांगीर तक पहुंचने से पहले ही वो सेना की टुकड़ी लेकर पहुंच गयी और महावत खान से जहांगीर के प्राणो की रक्षा की.
आगे वक्त बीतता गया खुद जहांगीर की कश्मीर मे वर्ष 1627 मे मौत होगयी. उसकी मौत के बाद नूरजहां तख्त सम्भालने की हकदार थी लेकिन जहांगीर के बेटो ने तख्त पर अधिकार के चलते विद्रोह कर दिया जिसमे तीसरे नम्बर के बेटे शाहजहां की जीत हुई तब वर्ष 1627 मे शाहजहां (बाबर, हुमायु , अकबर और जहांगीर के बाद) 5वा मुगल सम्राट बना और वह तख्त पर बैठा . नूरजहां को नजर बन्द करवा दिया .वर्ष 1645 मे लाहौर मे स्थित एक किले मे नूरजहां ने आखिरी सांस ली .उसकी कब्र जहांगीर के बगल मे ही बनवा दी गयी.
अच्छी रचना है केवल जन्म का वर्ष सही कर लीजिए ।
ek chij aap galat diy h jahagir ke pita akbar the balki shahjaha nahi
Priti ji, you read my article It’s my preasure and many thanks to you but please Pay heed ‘सलीम ताजमहल बनवाने वाले शाहजहां का पिता था’ is written here.
Akbar Ki death 1905 me nhi hui thi.. pls correct asap
thank you, Vishal!
nice
Full story kaha milegi…