जब भी प्रेम की बात आती है तो लोग सिर्फ भगवान कृष्ण और राधा का नाम लेते हैं.
आजकल राधा और रुक्मिणी की सम्बंधित ये कहानी सुनने को मिल रही हैं कि राधा और रुक्मिणी एक ही स्त्री थी और बचपन मे पूतना द्वारा नन्ही रुकमिणी का अपहरण किये जाने पर
वे अपने मां बाप से बिछड़ गई तब उनका राधा नाम रख कर लालन पालन बरसाना नाम के स्थान मे हुआ फिर जब वे बड़ी हुई तो उनके माता पिता उन्हे अपने साथ लेगये पर भागवत के अनुसार ऐसा कुछ भी नहीं है राधा अलग थी और रूक्मिणी अलग थी भागवत के अनुसार भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नियों से अपनी प्रेमिका राधा से मिलवाने का प्रसंग है साथ ही राधा के शादी के बाद कृष्ण के घर मिलने आने का भी जिक्र है.
भागवत के अनुसार जब कृष्ण गोकुल को छोड़ रहे थे तो वे राधा सहित गोपियों को अपने साथ ले जाना चाहते थे लेकिन गोपियों के अंदर बढ़ते घमंड को देखकर (गोपियो को लगता था कि वे कृष्ण की सबसे बड़ी भक्त है इसलिये कृष्ण पर सिर्फ उन्ही का हक है)
उन्होंने गोपियों को अपने साथ ले जाने से मना कर दिया यह देखकर राधा ने गुरुर होने का नाटक किया क्योकि उन्हे लगता था कि वह अगर अकेले कृष्ण के साथ जायेगी तो गोपियो को बुरा लगेगा इस कारण कृष्ण राधा को भी गोकुल मे छोड़ कर चले गये.
भगवान कृष्ण और रुक्मिणी की प्रेम कहानी का भागवत में अद्भुत वर्णन है
रुक्मिनी लक्ष्मी का अवतार थी, उन्होंने कृष्ण के बारे में सुन रखा था और उनकी लीलाओं के बारे में सुनते सुनते ही उनसे प्रेम कर बैठी थी लेकिन उनका भाई रुक्मण रुक्मिणी का विवाह अपने दोस्त शिशुपाल से कराना चाहता था यह बात रुक्मिणी को बिल्कुल भी अच्छी न लगी अतः उन्होंने भगवान कृष्ण को एक प्रेम पत्र लिखा .
भगवान कृष्ण रुक्मणी को जानते तक नहीं थे उनका पत्र पढ़ते ही कृष्ण उन्हें लेने पहुँचे उसके बाद का दृश्य कुछ ऐसा दर्शाया गया है कि रुक्मिणी अपनी सखियों के साथ मंदिर जा रही थी और कृष्ण ने बीच में ही अपना रथ रोक दिया और आसपास के लोग (सिपाही) कुछ समझ पाते कि कृष्ण बोले कि वाह कितना सुन्दर दृश्य है! , कितने अच्छे लोग हैं ! सब कुछ कितना अच्छा लग रहा है !,कितनी अच्छी स्त्री हैं! कितने अच्छे गहने पहने है! और ये इतनी अच्छी स्त्री जमीन में क्यों खड़ी है? इसे तो रथ में होना चाहिए इतना कहते ही उन्होंने रुक्मिणी को गोद मे उठाकर रथ में खड़ा कर दिया और कृष्ण की माया में पागल लोग जब तक कुछ समझ पाते कि कृष्ण ने ये कह कर रथ हांकना शुरू कर दिया कि चलते हुये रथ मे ये स्त्री और भी अच्छी लगेगी. जब रथ थोड़ा दूर चला गया कृष्ण की माया मे पागल लोगो को समझ आया कि कृष्ण छल से राजकुमारी रुकमिणी को भगाकर ले गये. रुकमण ने उनका पीछा
किया पर वह युध्द मे पराजित हुआ.
इस तरह रुकमिणी भगवान कृष्ण की पहली पत्नी बनी एवं उनके पहले पुत्र प्रद्युम्न की मां भी बनी.
भगवान कृष्ण को रुक्मिणी से सिर्फ एक ही शिकायत थी कि वह उनकी बाकी पत्नियो की तरह नाराज होकर कोप भवन मे क्यो नही जाती?
भागवत के अनुसार कई विवाह होजाने भी राधा के कई प्रसंगो का वर्णन है जिसमे से एक बार की बात है जब कृष्ण के पेट मे असहनीय दर्द होने पर वैद्य ने बताया कि अगर कोई स्त्री अपने पैर का अंगूठा धोकर पिला दे तो दर्द मिट जायेगा किन्तु ईश्वर को अपना पैर धोकर पिला के कोई भी नर्क जाने तैयार नही था (रुकमिणी, सत्यभामा सहित पत्नियां आदि) पर यह बात जब राधा तक पहुंची तो उन्होने तुरन्त अपने पैर का अंगूठा धोकर जल दे दिया इस सोच के साथ कि कृष्ण की पीड़ा दूर करने के लिये उन्हे नर्क भी स्वीकार है, ये बात राधा को उनकी पत्नियो से श्रेष्ठ दर्शाती है.
विवाहोपरान्त एक और घटना है जो राधा -कृष्ण के सच्चे प्रेम को दर्शाती है एक बार की बात है जब राधा कृष्ण के दर्शन के लिये द्वारिका आई थी पर उस वक्त कृष्ण महल मे नही थे पर सत्यभामा सहित कुछ रानियो ने इर्ष्या मे राधा को गर्म दूध पीने को दिया तो राधा ने बिना कुछ कहे उस दूध को पी लिया और वे वहां से चली गई जब कृष्ण आये तो रुकमिणी ने उनके पैरो को बिना किसी कारण जला हुआ पाया और फिर राधा द्वारा गर्म दूध पिये जाने की बात सामने आने पर उन्होने बताया कि राधा के हृदय मे उनके चरण वास करते है इसी कारण राधा द्वारा गरम दूध पिये जाने पर उनके पैर जल गये.
यद्यपि कृष्ण की इतनी सारी पत्नियां होते हुये भी वे सभी का ध्यान रखते है, हर पत्नी से उनके दस बच्चे थे, कृष्ण के पास सभी के साथ खेलने का बराबर समय था.
(दुर्भाग्य वश जब उनके पुत्र गलत रास्ते पर चलने एवं उनके नियंत्रण से बाहर होगये थे इसी कारण कृष्ण ने अपने ही पुत्रो को आपस मे लड़वादिया और उनके वंश का अंत होगया था)
कृष्ण ने राधा का स्थान किसी भी पत्नी को नही दिया, राधा के बारे मे पूरा सच जानने के बाद सभी पत्नियो ने राधा के दर्शन करने चाहे तो वे सभी पत्नियो को राधा से मिलवाने लेगये.
अति उत्तम👍
thank you, Akanksha!