अमिताभ बच्चन : Key of stable success

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70 साल की उम्र मे  भी अपने दम फिल्मे हिट करवाने वाले अमिताभ बच्चन जैसे सदी के महानायक की कामयाबी के  पीछे न सिर्फ उनके कर्म है बल्कि उनकी पत्नी जया बच्चन का सहयोग भी है जो कि खुद एक successful actress रही है और सांसद है,  एक जमाने उ. प्र. के इलाहाबाद मे रहने वाले अमिताभ को मुम्बई मे गया गुजरा समझा जाता था. उनके की ‘मै’ जगह हम कह कर बात करने का लहेजे का भी लोग मजाक उड़ाते थे. पहले उन्हे फिल्मो मे काम नही मिलता था और अगर मिल भी जाता था तो बाद मे उन्हे फिल्मो से निकाल दिया जाता था. कहते है कि राजेश खन्ना फिल्म इंडस्ट्री के पहले सूपर स्टार बन कर राज कर रहे थे तब अमिताभ बच्चन एक फिल्म पाने को तरस रहे थे. जया बच्चन भी स्टार बन चुकी थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म आनन्द मे राजेश खन्ना main hero  थे वही अमिताभ  side role मे थे  राजेश अमिताभ के सामने star वाले attitude मे  पेश आते थे व उनसे ठीक से बात नही करते थे यहां तक कि सुना ये भी गया कि वे आनन्द फिल्म से  अमिताभ को हटवाना चाहते थे. खैर इस फिल्म की सफलता से अमिताभ बच्चन को सफलता का स्वाद चखने को मिला. जब जया बावर्ची फिल्म मे राजेश खन्ना के साथ काम कर रही थी जब जब अमिताभ जया से मिलने आते तब राजेश खन्ना भी होते पर अमिताभ के प्रति उनकी बेरुखी सब notice करते थे लेकिन जैसा कि जया आज भी बेबाक बोलने के लिये जानी जाती है उस समय भी उन्होने अमिताभ के support मे कहा था कि राजेश खन्ना star है भगवान नही है.इन खबरो मे कितनी सच्चाई थी ये जान पाना मुश्किल है पर ये सच है कि जया भादुड़ी के साथ फिल्म जंजीर फिल्म से उन्हे पहली सफलता मिली.इसके बाद एक के बाद एक हिट देकर अमिताभ film industry के दूसरे सूपर स्टार बन गये. राजेश खन्ना से बहुत आगे निकल गये.कहते है कि successful होने से ज्यादा कठिन है success को सम्भालना  राजेश खन्ना को बहुत talented होने के कारण उन्हे success बहुत मिली पर असल मे वे success कायम नही  रख पाये क्योकि शायद उन पर ‘मै’ (गुरूर) हावी होगया था.
हालांकि अमिताभ बच्चन ने भी सूपर स्टार बनने के  कई दिनो बाद  कि बुरे दिन देखे है उन्हे पुरानी कार खरीद कर काम चलाना पड़ा. लेकिन वे अपनी गल्तियो से सीखते गये उन्होने अपनी ‘मै’ को खुद पर हावी  नही किया .1996- 1998 तक उन्हे लगता था कि वे अभी भी hero बन कर दुनिया को Entertain कर सकते है  क्योकि फिल्म सूर्यवंशम मे उन्होने गोविन्दा और अनिल कपूर के पिता का role करने से इंकार कर दिया ये कह के वे उनके भाई जैसे है  इसलिये उन्होने  बाप और  बेटे का डबल रोल खुद किया पर लाल बादशाह और सूर्यवंशम flop होजाने के बाद उन्हे समझ आगया था कि अब public उन्हे इस रूप मे पसन्द नही कर रही है इसलिये उन्होने उम्र के हिसाब के charactor artist वाले role स्वीकार करने शुरु कर दिये लेकिन कौन बनेगा करोड़पति  की कामयाबी और  उनके सफेद  दाढ़ी वाला नये look से लोगो के दिलो मे फिर से बसने लगे तब से अब तक उनका जलवा कायम है कि उन्हे इस 70 साल की उम्र मे  भी पीकू और पा जैसी फिल्मो  मे lead role करके young actors को मात देते हुवे  best actor के awards जीते.
अमिताभ बच्चन की खास बात ये भी है glamour world का सबसे अहम हिस्सा होते हुवे भी वो माया नगरी की चकाचौंध मे खोये नही  उनके अनुसार ये उन्होने   ये rule बनाया कि dining table पर उनके family members हिन्दी मे बात करे. वही उनके बेटे अभिषेक  बच्चन ने एक tv show मे reveal किया कि उनके पापा ने  उनको कभी शराब पीना allowed नही किया. यही नहीवउनके अन्दर बनावटीपन बिल्कुल भी  दिखता एक बार कौन बनेगा करोड़पति के सेट पर जब वे एक व्यक्ति ने फोन पर  excited होकर होकर बहुत जल्दी मे fluent english मे एक लम्बी speech दे डाली तब अमिताभ ने reply मे सिर्फ ‘हांय’ कह कर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया.
आज एश्वर्य राय जैसी heroine जो अपनी बातचीत मे  अमिताभ बच्चन को follow करते  हुवे ‘हम’ (मै की जगह) का इस्तेमाल करती नजर आती है हालांकि अभी हाल मे ऐसी खबरे सुनने को मिली जैसे कि एश्वर्य राय ने suicide करने की कोशिश की क्योकि फिल्म   ‘ए दिल है मुश्किल’ मे  vulgur scene दिये जिससे उन्हे उनके सास ससुर (अमिताभ -जया) से फटकार सुनने को मिली पर ऐसी खबर एक वाहियात rumour ही करार दे दिया गया.
मुम्बई जैसा शहर जहां U.P. के लोगो को नीचे level का समझा जाता है वहां एक उ.प्र. का  बन्दा rule कर रहा है.
कहने का तात्पर्य है अमिताभ बच्चन एक Iconic Star ही नही बल्कि एक ऐसे इंसान है जिनसे प्रेरणा और सीख ली जासकती है.
पहली ये कि वक्त आपके हिसाब से नही बदलता बल्कि आपको ही (अच्छे विचारो के साथ) वक्त के हिसाब से बदलना पड़ेगा तभी वक्त आपकी कीमत पहचानेगा.
दूसरा ये कि सफल होने की चाभियां मेहनत और लगन होती है पर सफलता कायम रखने की चाभिया है  रवैये मे लचीलापन (flexibility in attitude), मधुर भाषा (honey tongue) और जागरुकता (awareness) है.

सबसे बड़ी सीख ये कि उम्र बढ़ने का मतलब ये नही है  कि अपने जमाने की बातो मे सिमट जाये, बल्कि खुद को update करे.

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