Poem

मकसद है अगर कुछ ज़िंदगी का

मकसद है अगर कुछ ज़िंदगी का,जीने का सलीका सीखिए| फूलों की राहों पर नहीं,काँटों पर चलना सीखिए. गुम हो न जाएँ मंज़िलें हो न ऐसी हार,राहों को ज़िंदगी की मंज़िल…

Poem

कोमल- पत्थर

चलते फिरते लोग हैं,इस दुनिया के पत्थर| दूजे का जो गम है, उनके लिए है पत्थर| अपने लिए है जीते वो और अपना समा बनाए| उनका ये ख़याल है खुद…