मकसद है अगर कुछ ज़िंदगी का
मकसद है अगर कुछ ज़िंदगी का,जीने का सलीका सीखिए| फूलों की राहों पर नहीं,काँटों पर चलना सीखिए. गुम हो न जाएँ मंज़िलें हो न ऐसी हार,राहों को ज़िंदगी की मंज़िल…
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मकसद है अगर कुछ ज़िंदगी का,जीने का सलीका सीखिए| फूलों की राहों पर नहीं,काँटों पर चलना सीखिए. गुम हो न जाएँ मंज़िलें हो न ऐसी हार,राहों को ज़िंदगी की मंज़िल…
चलते फिरते लोग हैं,इस दुनिया के पत्थर| दूजे का जो गम है, उनके लिए है पत्थर| अपने लिए है जीते वो और अपना समा बनाए| उनका ये ख़याल है खुद…
छोटी बेल की है हसरत,कि वो आसमा को छू ले| हर बूटा उसे बढ़ाके नई उँचाई दे दे | इस दुनिया के मलिक या जब हसरत उसकी जानी| मिट्टी बारिश…