देशभक्त: महात्मा गांधी पर अंगुली उठाना सही?

साध्वी प्रज्ञा द्वारा दिया हुआ बयान कि नाथुराम गोडसे आतंकवादी नही बल्कि देशभक्त था की वजह से उन्हे माफी मांगनी पड़ी, हर बात की हाजिर जवाबी देने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रेस कांफ्रेस करानी पड़ी क्योकि सवाल भारत के राष्ट्र पिता कहे जाने वाले मोहन दास करम चन्द्र गांधी के वजूद पर उठ रहा था. खैर इसमे कुछ नया नही है भारत मे तमाम ऐसे लोगो की फौज खड़ी होरही है जो वो महात्मा गांधी को देशभक्त नही बल्कि गद्दार बता रही है क्योकि उन्हे लगता है कि गांधी जी के अनशन की वजह से पाकिस्तान को पैसे दिये गये इसलिये इसलिये वे पाकिस्तान के हितैषी थे भारत के नही और इसी वजह से गोडसे ने उनकी हत्या की.

बचपन मे जब भी महात्मा गांधी का नाम सुनो सत्य, अहिंसा और   देश प्रेम जैसे शब्द हमारे दिमाग मे चलने लगते थे
आखिरकार उन्हे राष्ट्रपिता का दर्जा दिया यूहीं तो नही दिया गया पर आज समाज का नजरिया इतना बदल चुका है, महात्मा गांधी के बारे मे अच्छे शब्द सिर्फ गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस और 2 अक्टूबर मे दिये जाने वाले भाषण का हिस्सा है.
महात्मा गांधी का चेहरा लोग रोज नोटो पर देखते है पर ये उनकी मजबूरी है क्योकि लोगो को  सिर्फ नोट प्यारा है वही गांधी जी से नफरत, ‘नफरत’ शब्द सुन कर आपको अजीब लगेगा पर आजकल लोग खासतौर पर  यंगस्टर्स जोकि सोशल नेटवर्किंग साइट पर गांलियां देते है.
कोई कहता है कि गांधी मुसलमानो का सगा था तो कोई कहता है कि देश उस गांधी की वजह से नही  बल्कि सिर्फ सुभाष चन्द्र, भगत सिंह जैसे देशभक्तो की वजह से आजाद हुआ.
कुछ लोगो का कहना है कि वे गांधी जी से नफरत करते है क्योकि गांधी जी चाहते तो भगत सिंह की फांसी रुकवा 
सकते थे पर उन्होने ऐसा नही किया.
आजाद  भारत के 
लोग बहुत  और भी गन्दे शब्दो का इस्तेमाल कर रहे है जिन्हे बयां करने मे मुझे  पीड़ा होती है.
किसी अमेरिकन पत्रकार व अन्य ने खुलासा किया कि गांधी जी अपनी शिष्याओ, भतीजी और महिला रिश्तेदारो के साथ नग्न होकर सोते थे और नहाते थे.
अब ये सुनने के बाद आजाद भारत के गालियां देने वाले सभ्य लोगो की संख्या बढ़ गई है.
ये सब सुनने के बाद लोग गांधी जी को आसाराम बापू की उपाधि देने मे लगे है पर महात्मा गांधी के भतीजे की पोती मनु बेन की डायरी के अनुसार  गांधी जी दुनिया के लिये भारत के राष्ट्रपिता थे पर उनके लिये वे मां जैसे थे,
वे उनके साथ नग्न सोती और नहाती थी और अपनी मां के सामने ऐसा करने मे उन्हे कोई परहेज नही था, वे गांधी जी ब्रह्मचर्य के इस अलग तरह के प्रयोग मे खरी उतरी थी, गांधी जी अन्य कुछ शिष्याओ के अनुसार उनमे ब्रम्हचर्य की इस परीक्षा (अपने संयम को साबित करना) के लिये होड़ लगती थी. किन्तु सिर्फ एक मुस्लिम शिष्या ने कहा कि गांधी जी को सेक्स की बुरी तरह से लत थी और प्रयोग मात्र एक दिखावा था लेकिन यह एक गलतफहमी या उन्हे बदनाम करने की साजिश भी होसकती है क्योकि
प्रयोग ही ऐसा था ही जिसमे किसी को भी आसानी से गलतफहमी होसकती है.
वही सरदार वल्लभ भाई पटेल को उनके इस प्रयोग से कोई आपत्ति नही थी पर 
उन्हे डर था कि इससे मुस्लिम उनके खिलाफ होसकते है पर गांधी जी ने किसी की परवाह नही और अपने प्रयोग जारी रखे थे.
वैसे कुछ दिन पहले इंटरनेट पर एक फोटो भी वायरल हुई थी जिसमे गांधीजी एक महिला के साथ आशिकाना अंदाज मे दिख रहे थे पर कुछ ही दिन मे खुलासा हुआ कि वह बनाई हुई तस्वीर है जिसमे असल मे गांधी जी किसी नेता के साथ मुस्कुराकर बात कर रहे है.
इससे तो यही सिध्द होता है कि कुछ लोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने लिये महात्मा गांधी  को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है वही बात करे अगर नाथुराम गोड्से की तो वह गांधी जी का शिष्य था उसने गांधी जी से ब्रह्मचर्य सीखा और गांधी जी के आन्दोलन के चलते जेल भी जाचुका था पर जब उन्होने इस तरह के प्रयोग करने शुरु किये तो उसने आश्रम छोड़ दिया था.
इससे यह अन्दाजा लगाया जासकता है कि नाथुराम गोड्से गांधी जी के शिक्षा के चलते एक सच्चा ब्रह्मचारी बना तो गांधी जी सेक्स के लती कैसे होकते है? 
जब गांधी जी की हत्या के बाद देवदास गांधी को  गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे की पहचान के लिये बुलाया गया तो वह भौचक्का रह गया क्योकि उसे लगा था कि हत्यारा कोई खतरनाक सा दिखने वाला इंसान होगा, नाथु ने भी गांधी जी की हत्या का कारण उनसे कोई दुश्मनी नही बताई उसने बताया कि गांधी जी की वजह से  पाकिस्तान को पैसे से मदद दी गई थी और वे फिर से पाकिस्तान को पैसे देने के लिये अनशन मे बैठने जारहे थे यह बात देश के लिये खतरे का संकेत थी. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गांधी जी को आगाह किया था कि पाकिस्तान मदद के लिये दिये गये पैसो का इस्तेमाल भारत को नुकसान पहंचाने के लिये भी कर सकता है.

खैर नाथुराम गोडस गांधी जी की हत्या  अपनी जगह पर सही होसकता है और गलत भी पर गांधी जी की हत्या करके  उसने संगीन जुर्म किया था इसलिये वह एक हत्यारा ही कहा जायेगा लेकिन कुछ लोग इन बातो को कहां से कहां लेकर जारहे है गांधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता होना चाहिये, बटवारे के लिये जिम्मेदार था, अंग्रेजो का चमचा था पता नही क्या क्या. . 
अगर वाकई गांधी जी पाकिस्तान के हितैषी थे फिर तो वहां के लोगो को गांधी जी को पूजना चाहिये था पर इज्जत से से तो गांधी जी का नाम वे भी नही लेते और एक पाकिस्तानी नेता ने स्वीकार किया की नेहरु और गांधी ने कहा कि  हम सब एक है और  साथ मिलकर रहेंगे पर जिन्ना ने कहा कि नही आप अलग है और हम अलग है तो इससे तो यही सिध्द होता है कि बटवारा जिन्ना की जिद थी न कि गांधी जी का फैसला या चाल थी.
खुद नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हे राष्ट्रपिता कहा था पर उनके बीच और गांधी जी खटास का कारण उनका आजादी पाने को लेकर अलग अलग विचार होना था.
हम सब गांधी जी के सिखाये गये सिध्दान्तो से परचित है जैसे कि कोई एक थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो या फूल दो अर्थात  बुराई के बदले भलाई करो इससे ये अन्दाजा लगाया सकता है कि गांधी जी पाकिस्तान की मदद इसी सिध्दान्त की वजह से करना चाहते थे, चूंकि अंग्रेजो से लड़ाई भी उन्होने सत्य, अहिंसा और अपने इन्ही सिध्दान्तो के दम पर लड़ी और जीती.
अगर आपको कोई थप्पड़ मारे तो या तो पलट के तुरन्त थप्पड़ मारेंगे या  थप्पड़ खाने के बाद चुपचाप  होकर उसे किसी अन्य तरीके सबक सिखाने की तरकीब सोचेंगे या गांधीजी की तरह थप्पड़ की जगह फूल देकर उसे अपने वश मे करने की कोशिश करेंगे. 
कहने का तात्पर्य है कि आजादी की लड़ाई भी इन्ही अलग अलग विचारो से परिपूर्ण तरीको से  लड़ी गई है, पर आप किसी एक विचार को प्राथमिकता देते है तो इसका मतलब ये नही है कि आप दूसरे विचार को प्राथमिकता देने वाले  किसी भी देशभक्त पर अंगुली उठाये. इतिहास से जुड़ी तनाम सच्चाईयो को उजागर करने वाले स्व. राजीव दीक्षित ने गांधी जी पर लगे आरोपो को मिथक बताया और कहा कि उनके जैसा सच्चा, ईमानदार और दुश्मन को प्रेम से जीतने मे विश्वास रखने वाला इंसान दुनिया मे पिछले 500 सालो मे नही हुआ. 
उनके अनुसार गांधी जी ने खुद मौत से दो दिन पहले बयान दिया था कि अगर कोई पागल आदमी मुझे गोली मार दे तो भी मै भगवान से उसके लिये सदबुध्दि मागुंगा.

गांधी जी तो हर हिन्दु, मुस्लिम, सिख और ईसाई को प्रेम के एक सूत्र मे बांधना चाहते थे पर सच्चाई तो यह थी बुराई के बदले अच्छाई देने वाली नीति हर किसी को हजम नही होरही थी और यही उनकी हत्या कारण बना  केवल महात्मा गांधी ही भारत के राष्ट्रपिता कहलाने लायक थे और उन पर अंगुली उठाने का अर्थ है कि आप अपने देश पर अंगुली उठारहे है.

वाकई! देश आगे होरहा है उसके पीछे हममे से कुछ लोग और अगर पीछे है तो उसका कारण भी हममे से कुछ लोग है.  सरकारे बदलती रहेंगी अपने फायदे के लिये एक दूसरे पर कीचड़ उछालती रहेंगी पर आप अंधभक्ति, चमचागिरी, जाति या धर्म मे पड़ कर सिर्फ एक आंख से देखना बन्द करे क्योकि केवल पाकिस्तान या अंग्रेजो को गालियां देना देशभक्ति का प्रमाण नही बल्कि  पूरी निष्ठा से एक अच्छे नागरिक होने का कर्तव्य निभाना ही सच्ची देशभक्ति है.

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