मेरा ये मानना है कि लडकी हो या लडका आजादी सभी की जरुरत है किन्तु इसकी एक सीमा तय होनी चाहिये जिससे एक अनुशासित वातावरण बन सके क्योकि जब आजादी मे अनुशासन ,शिष्टाचार व सावधानी को सम्मिलित कर लिया जाये तो असुरक्षा कि सम्भावनाये निश्चित ही कम होजाती है . हमारी सुरक्षा की सबसे पहले जिम्मेदारी हम पर ही होती है बाद मे पुलिस या किसी और की एसे मे सावधानी ही हमारा बचाव करती है. सभ्यता चाहे भारतीय हो या पाश्चात्य सबका अपना एक दायरा होता है जिसके अनुरुप सबको चलना पडता है .
arpita awasthi
2 Replies to “आजादी का दायरा”
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शत प्रतिशत सहमत। अति दुःखद ही होती है। चाहे आजादी की हो या बन्धन की। सजगता और अनुशासन नही हो तो समस्या आनी ही है।
शत प्रतिशत सहमत। अति दुःखद ही होती है। चाहे आजादी की हो या बन्धन की। सजगता और अनुशासन नही हो तो समस्या आनी ही है। इसलिए be careful