Poem

कोमल- पत्थर

चलते फिरते लोग हैं,इस दुनिया के पत्थर| दूजे का जो गम है, उनके लिए है पत्थर| अपने लिए है जीते वो और अपना समा बनाए| उनका ये ख़याल है खुद…